PM Modi in Parliament: भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद में इस पर विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और स्वतंत्रता संग्राम की चेतना रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बंगाल विभाजन के समय वंदे मातरम अंग्रेजी हुकूमत की आंखों की किरकिरी बन गया था। यह गीत जन-जन की आवाज बन चुका था। छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं और युवा सड़कों पर इसे गाने लगे थे। अंग्रेजों के अत्याचार झेलते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी केवल वंदे मातरम का ही उद्घोष करते थे।
उन्होंने कहा कि यह वही गीत था, जिसने लोगों में स्वदेशी आंदोलन की चेतना जगाई। विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से लेकर आत्मनिर्भर भारत की सोच तक, वंदे मातरम एक मंत्र के रूप में कार्य करता रहा। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि इतना लोकप्रिय और प्रेरणादायक गीत होने के बावजूद पिछली सदी में इसके साथ अन्याय कैसे हुआ, और किस तरह इसे विवादों में घसीटने की कोशिश की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम को केवल एक धार्मिक या क्षेत्रीय दृष्टि से देखना इसके साथ ऐतिहासिक अन्याय है। यह गीत भारत की आज़ादी, बलिदान और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नई पीढ़ी को वंदे मातरम के इतिहास और महत्व से अवगत कराना समय की आवश्यकता है।
इससे पहले संसद परिसर में भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत “वंदे मातरम” के नारों के साथ किया। संसद का माहौल राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत नजर आया। यह चर्चा न केवल इतिहास को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ने का भी माध्यम बनेगी।वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होना देश के लिए गर्व का विषय है और यह संदेश देता है कि राष्ट्र की भावना समय से परे होती है।
