दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। राजधानी के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो गंभीर स्वास्थ्य संकट का संकेत है। बिगड़ते हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए कई अहम फैसले लिए हैं।

सरकार के आदेश के अनुसार, दिल्ली के सभी सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (WFH) अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मकसद सड़कों पर वाहनों की संख्या घटाना और प्रदूषण को नियंत्रित करना है। आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को इससे छूट दी गई है, लेकिन बाकी संस्थानों को हाइब्रिड वर्क सिस्टम अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक
प्रदूषण की एक बड़ी वजह माने जाने वाले धूल और मलबे को रोकने के लिए दिल्ली में सभी तरह के निर्माण कार्यों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें सरकारी और निजी दोनों तरह की निर्माण परियोजनाएं शामिल हैं। सरकार का कहना है कि निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली धूल हवा की गुणवत्ता को और खराब कर रही है।हालांकि, कुछ अत्यावश्यक परियोजनाओं को नियमों के तहत सशर्त छूट दी जा सकती है, लेकिन इसके लिए संबंधित विभागों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
निर्माण मजदूरों को आर्थिक राहत
निर्माण कार्य बंद होने से सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने रजिस्टर्ड और वेरिफाइड निर्माण मजदूरों के बैंक खातों में 10,000 रुपये की सहायता राशि सीधे ट्रांसफर करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम मजदूरों और उनके परिवारों को इस कठिन समय में आर्थिक सहारा देने के लिए उठाया गया है।
स्वास्थ्य को लेकर बढ़ी चिंता
डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचने, मास्क पहनने और बच्चों व बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है। सांस, आंखों और त्वचा से जुड़ी समस्याओं के मामलों में भी इजाफा देखा जा रहा है।सरकार ने साफ किया है कि यदि प्रदूषण का स्तर कम नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में और सख्त पाबंदियां लागू की जा सकती हैं। दिल्लीवासियों से अपील की गई है कि वे नियमों का पालन करें और प्रदूषण कम करने में प्रशासन का सहयोग करें।
