उत्तर प्रदेश विधानसभा में वंदेमातरम् पर चल रही चर्चा के दौरान उस समय सियासी माहौल गर्म हो गया, जब समाजवादी पार्टी की विधायक रागिनी सोनकर ने धार्मिक अभिव्यक्ति को लेकर तीखा सवाल उठाया। रागिनी सोनकर विधानसभा बयान के दौरान उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति “I Love जय श्री कृष्ण”, “I Love जीसस” या “I Love वाहेगुरु” कह सकता है, तो फिर “I Love मोहम्मद” कहने पर बच्चों को गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है।

रागिनी सोनकर ने सदन में सवालिया लहजे में कहा कि क्या यही वंदेमातरम् की भावना है, जिसमें समानता और सम्मान की बात की जाती है। उन्होंने इस मुद्दे को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अपने विचार और आस्था प्रकट करने का अधिकार होना चाहिए।
विधायक ने आरोप लगाया कि प्रदेश में कुछ मामलों में धार्मिक पहचान के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जिससे समाज में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई न केवल चिंताजनक है, बल्कि भविष्य के लिए भी गलत संदेश देती है।
रागिनी सोनकर विधानसभा बयान के बाद सदन में कुछ देर के लिए हलचल का माहौल बन गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने कानून-व्यवस्था का हवाला दिया, जबकि विपक्ष ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल बताया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे सकता है। धार्मिक सहिष्णुता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के दायरे को लेकर यह मुद्दा एक बार फिर केंद्र में आ गया है।
फिलहाल, रागिनी सोनकर के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। समर्थक इसे साहसिक सवाल बता रहे हैं, जबकि विरोधी इसे अनावश्यक विवाद करार दे रहे हैं। यह देखना अहम होगा कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर आगे क्या रुख अपनाते हैं।
