समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के नए घोषणा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। अखिलेश ने कहा है कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो प्रदेश की सभी पात्र महिलाओं को सालाना 40 हजार रुपये दिए जाएंगे। इस ऐलान के बाद जहां बीजेपी खेमे में टेंशन और राजनीतिक बयानबाज़ी शुरू हो गई है, वहीं प्रदेश की महिलाओं में खुशी की लहर देखने को मिल रही है।

घोषणा के बाद सियासी हलचल
अखिलेश यादव के बयान ने विपक्षी दलों को सीधा निशाने पर ला दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घोषणा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की बड़ी रणनीति है, जो आने वाले चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकती है।
बीजेपी ने इस ऐलान को “लोकलुभावन वादे” बताते हुए उस पर सवाल उठाए और कहा कि यह आर्थिक रूप से अव्यावहारिक है। कई भाजपा नेताओं ने टिप्पणी करते हुए दावा किया कि अखिलेश केवल वोट बैंक साधने के लिए ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं।
महिलाओं में दिखी उम्मीद और खुशी
सपा प्रमुख की घोषणा का सबसे ज्यादा असर महिलाओं में दिखाई दिया। कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं ने इसे सराहा और कहा कि ऐसी आर्थिक मदद से घर का खर्च चलाने में बड़ी राहत मिल सकती है।महिलाओं ने कहा कि यह योजना उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता देगी घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी शिक्षा, स्वास्थ्य और बच्चों के खर्च में आसानी होगीसोशल मीडिया पर भी इस घोषणा को लेकर महिलाओं की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं बढ़ रही हैं।
चुनावी रणनीति का बड़ा दांव?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों पर आधारित ऐसी घोषणाएं यूपी की चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभा सकती हैं। सपा इस वादे के जरिए खासकर महिलाओं, युवाओं और घरेलू वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी क्यों आई टेंशन में?
बीजेपी का मानना है कि ऐसी घोषणा से जनता में गलत संदेश जा सकता है और सरकार की योजनाओं की तुलना होने लगेगी। पार्टी लगातार इस घोषणा पर पलटवार कर रही है और इसे सपनों की स्कीम बता रही है।कुल मिलाकर, अखिलेश यादव की यह घोषणा एक राजनीतिक बहस का केंद्र बन गई है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा कितना असर डालेगा, यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि महिलाओं में इस घोषणा ने उम्मीद जगाई है और सियासत में नई गर्मी ला दी है।
