लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के विभागों में फेरबदल को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। सूत्रों के मुताबिक 14 जनवरी (मकर संक्रांति) के बाद कभी भी मंत्रिमंडल में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। लंबे समय से खाली पड़े मंत्री पदों और कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन को लेकर समीक्षा के बाद यह कदम उठाया जा सकता है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार संगठनात्मक संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और आगामी राजनीतिक रणनीति को ध्यान में रखते हुए यह विस्तार कर सकती है। खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल से नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभाग बदले जाने या उन्हें संगठन में नई जिम्मेदारी देने की भी अटकलें हैं।
कई पद लंबे समय से खाली
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अब तक कैबिनेट विस्तार सीमित रहा है। ऐसे में पार्टी के भीतर से लगातार यह मांग उठ रही थी कि जमीनी स्तर पर काम कर रहे नेताओं को सरकार में प्रतिनिधित्व दिया जाए। सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व ने इस पर मंथन तेज कर दिया है और हाईकमान की हरी झंडी मिलते ही विस्तार की घोषणा हो सकती है।
2027 को ध्यान में रखकर रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कैबिनेट विस्तार सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का भी हिस्सा हो सकता है। नए चेहरों को मौका देकर सरकार सामाजिक और जातीय संतुलन साधने की कोशिश कर सकती है। साथ ही कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन की रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदारियों में बदलाव संभव है।
संगठन और सरकार में संतुलन
भाजपा संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल के लिए भी यह फेरबदल अहम माना जा रहा है। हाल ही में संगठनात्मक स्तर पर हुई बैठकों के बाद यह संकेत मिले हैं कि पार्टी नेतृत्व सरकार की कार्यप्रणाली को और प्रभावी बनाना चाहता है।हालांकि, इस पूरे मामले पर अभी तक सरकार या भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन सूत्रों की मानें तो मकर संक्रांति के बाद लखनऊ की राजनीति में बड़ी घोषणा हो सकती है।
