रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करने वाला वीडियो सामने आया है। अमावां ब्लॉक के संदी नागिन प्राथमिक विद्यालय में मासूम बच्चों से ईंटें ढुलवाकर इंटरलॉकिंग का काम करवाया जा रहा है। वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि बच्चे भारी ईंटें उठाकर स्कूल परिसर में ले जा रहे हैं, और वहीं विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रतिभा सिंह खुद उन्हें निर्देश देती दिखाई दे रही हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो ने जिले में हड़कंप मचा दिया है। वीडियो सामने आने के बाद प्रधानाध्यापिका कैमरा देखते ही बच्चे को अंदर भेजने लगती हैं और वीडियो को डिलीट करने की गुजारिश करती भी नजर आती हैं। लेकिन तब तक पूरा मामला रिकॉर्ड हो चुका था और अब लोगों में भारी आक्रोश है।

स्थानीय अभिभावकों और ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल में बच्चों को श्रम करवाना न केवल गैरकानूनी है बल्कि बच्चों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। बच्चों को पढ़ाई के बजाय मजदूरी जैसे कार्यों में लगाने से शिक्षा व्यवस्था की गंभीर लापरवाही सामने आती है। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
बाल श्रम कानून के मुताबिक, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का श्रम कराना अपराध है, और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक सरकारी विद्यालय में यह सब कैसे और किसकी अनुमति से हो रहा था?
जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी अब मामले की जांच में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में लापरवाही साफ दिख रही है, और विभाग जल्द ही प्रधानाध्यापिका के खिलाफ सस्पेंशन समेत गंभीर कार्रवाई कर सकता है। वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों पर भी कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।
इस शर्मनाक घटना ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की कार्यप्रणाली और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शिक्षा विभाग इस मामले में कितना सख्त कदम उठाता है।
