नई दिल्ली/लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए 6 दिसंबर को नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणास्थल पर प्रस्तावित अपनी विशाल जनसभा रद्द कर दी। पार्टी पदाधिकारियों के साथ विशेष बैठक के बाद मायावती ने यह निर्णय लिया और इसके पीछे की वजह आम जनता की सुविधा को बताया।

मायावती ने कहा कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था के कारण स्मारकों और सार्वजनिक स्थानों पर आम नागरिकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से उन्होंने आगे से महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर बड़े स्मारकों पर न जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने इस फैसले की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भी साझा की।
अपने पोस्ट में मायावती ने कहा कि बीएसपी सरकार ने महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज, नारायण गुरु, डॉ. भीमराव आंबेडकर और कांशीराम जैसे महापुरुषों को सम्मान देते हुए कई बड़े स्मारक और प्रेरणास्थल बनवाए। उन्होंने आरोप लगाया कि जातिवादी पार्टियों की सरकारों में इन समाज सुधारकों को अक्सर अनदेखा किया जाता रहा है, जबकि बीएसपी ने सदैव इन महान विभूतियों को उचित सम्मान दिया।
उधर, उनकी जनसभा रद्द होने के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि यह कदम सुरक्षा व्यवस्था और जनता की कठिनाइयों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। इसके साथ ही मायावती की आगे की राजनीतिक रणनीति को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनावी मौसम में ऐसे फैसले राजनीतिक संदेश भी देते हैं। हालांकि, बीएसपी सुप्रीमो ने साफ कहा कि उनका उद्देश्य किसी को असुविधा पहुंचाना नहीं, बल्कि समाज सुधारकों का सम्मान बनाए रखना है। मायावती के इस रुख ने समर्थकों और विपक्ष दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
