कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाली एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। नरवल तहसील परिसर में शनिवार को आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब फरियादियों की भीड़ के बीच एक युवक ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश कर ली। यह सब कुछ जिले के सबसे बड़े अधिकारी जिलाधिकारी (DM) की मौजूदगी में हुआ, जिसने पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया।

“साहब! कोई नहीं सुनता, आज जान दे देंगे”
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, समाधान दिवस की कार्यवाही चल ही रही थी कि अचानक भीड़ से निकलकर एक युवक जोर-जोर से चिल्लाने लगा। कुछ ही पलों में उसने अपने ऊपर पेट्रोल डाल लिया। कमरे में पेट्रोल की तेज गंध फैल गई और युवक चीखते हुए बोला“साहब! कोई नहीं सुनता, आज जान दे देंगे।”स्थिति बिगड़ते देख वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने तुरंत युवक को काबू में लिया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
युवक की पहचान और हताशा की वजह
पुलिस ने युवक की पहचान रणजीत उर्फ बउवन सिंह के रूप में की है, जो करबिगवां साढ़ गांव का रहने वाला है। पूछताछ में रणजीत ने जो कहा, वह सिस्टम पर सीधा प्रहार था। उसने बताया,“हमने फिल्मों में देखा था कि जब सीधे तरीके से प्रशासन नहीं सुनता, तो ऐसे ही अपनी बात सुनानी पड़ती है।”जांच में सामने आया कि रणजीत का विवाद घर की नाली को लेकर है। उसका आरोप है कि परिवार के ही कुछ सदस्यों—सत्येंद्र, अभय सिंह और अखिलेश सिंह—ने उसके घर की नाली तोड़कर बंद कर दी है।
नाली बंद, घर गिरने का खतरा
रणजीत का मकान कच्चा है। नाली बंद होने से गंदा पानी मकान की नींव में भर रहा है, जिससे घर गिरने का खतरा बना हुआ है। रणजीत के पिता महावीर सिंह का पांच साल पहले निधन हो चुका है। वह अपनी विधवा मां रानी और दो भाइयों के साथ खेती कर किसी तरह परिवार का पालन-पोषण कर रहा है।
धमकी, मारपीट और पुलिस पर गंभीर आरोप
पीड़ित युवक का आरोप है कि पड़ोसी उसे धमकाते हैं और कहते हैं“हमारा बेटा फौज में है, तुम कहीं भी शिकायत कर लो, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा।”रणजीत की मां रानी ने रोते हुए बताया कि पड़ोसी महिलाओं ने उनके साथ मारपीट की, यहां तक कि छाती पर चढ़कर पीटा। जब वे थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें भगा दिया। मां का आरोप है कि पुलिस ने विपक्षियों से पैसे ले लिए हैं और कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
प्रशासन पर सवाल
डीएम के सामने हुई यह घटना बताती है कि छोटे-छोटे स्थानीय विवाद जब समय पर नहीं सुलझते, तो वे कितनी बड़ी त्रासदी का रूप ले सकते हैं। फिलहाल प्रशासन ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन यह सवाल कायम है—क्या रणजीत जैसे लोगों की आवाज अब सुनी जाएगी?
