कन्नौज। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से एक भावुक और समाज को सोचने पर मजबूर कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां ठठिया थाना क्षेत्र के मिश्रीपुर्वा गांव में एक किसान की मौत के बाद उसकी चार बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा देकर अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाईं। इस दृश्य ने न केवल गांव बल्कि पूरे इलाके में बेटियों की भूमिका और सामाजिक सोच को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

हार्ट अटैक से हुई किसान की मौत
मिश्रीपुर्वा गांव निवासी किसान की हार्ट अटैक से अचानक मौत हो गई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। किसान के कोई पुत्र नहीं थे, केवल चार बेटियां थीं। ऐसे में अंतिम संस्कार को लेकर समाज की पारंपरिक सोच के अनुसार सवाल उठने लगे, लेकिन बेटियों ने इन सभी रूढ़ियों को तोड़ते हुए खुद आगे बढ़कर पिता की अर्थी को कंधा देने का फैसला किया।
बेटियों ने निभाया हर फर्ज
चारों बेटियां न केवल पिता की अर्थी को कंधा देने पहुंचीं, बल्कि श्मशान घाट तक की पूरी प्रक्रिया में शामिल रहीं। उन्होंने मुखाग्नि से लेकर अन्य अंतिम संस्कार की रस्मों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। इस दौरान गांव के लोग भी भावुक नजर आए। कई लोगों ने इसे नारी सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल बताया।
गांव और समाज में चर्चा का विषय
इस घटना के बाद मिश्रीपुर्वा गांव में बेटियों के अधिकार और उनकी भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि आज भी समाज में यह धारणा बनी हुई है कि अंतिम संस्कार केवल बेटे ही कर सकते हैं, लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बेटियां किसी भी जिम्मेदारी में बेटों से कम नहीं हैं।
बदलती सोच की झलक
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने चारों बेटियों की सराहना की है। उनका कहना है कि यह कदम समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है। बेटियों ने यह साबित कर दिया कि वे न केवल माता-पिता की सेवा में आगे रहती हैं, बल्कि उनके जाने के बाद भी हर सामाजिक और धार्मिक दायित्व निभाने में सक्षम हैं।
यह घटना उन लोगों के लिए एक सीख है जो आज भी बेटे-बेटी में फर्क करते हैं। कन्नौज की यह तस्वीर बताती है कि समय के साथ समाज बदल रहा है और बेटियां अब हर मोर्चे पर बराबरी से खड़ी हैं।
