उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में फर्जी अभिवहन पास से लकड़ी तस्करी का एक बड़ा मामला सामने आया है। यह कार्रवाई हैदरगढ़ वन क्षेत्र में वन दरोगा अनुज कुमार सिंह द्वारा की गई, जिन्होंने सतर्कता दिखाते हुए अवैध वन उत्पाद के परिवहन को रोक दिया। यह घटना 06 दिसंबर 2025 की रात की है, जब वन विभाग की टीम हैदरगढ़–महाराजगंज मार्ग पर नियमित गश्त कर रही थी।

रात करीब 11:50 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि एक डीसीएम वाहन (UP 36T 6712) संदिग्ध रूप से लकड़ी का कोयला लेकर गुजर रहा है। सूचना मिलते ही वन दरोगा अनुज सिंह ने टीम के साथ वाहन का पीछा कर हैदरगढ़ मुख्य चौराहे पर उसे रोक लिया। चालक की पहचान आशीष कुमार, निवासी सुल्तानपुर के रूप में हुई। पूछताछ में चालक ने बताया कि वह वाहन में लदा लकड़ी का कोयला रायबरेली से पटना, बिहार ले जा रहा है।

जांच के दौरान वाहन में लकड़ी का कोयला मिला, लेकिन चालक कोई वैध अभिवहन पास प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद वाहन को जब्त कर वन विभाग की अभिरक्षा में रेंज कार्यालय हैदरगढ़ लाया गया। कुछ समय बाद वन दरोगा के मोबाइल पर अयाज पुत्र मोहम्मद नफीस, निवासी रायबरेली का फोन आया। उसने दावा किया कि उसके पास अभिवहन पास है और वह उसे व्हाट्सएप के जरिए भेज रहा है।
जब भेजे गए पास की जांच की गई, तो उसमें अंकित वाहन संख्या जब्त वाहन से मेल नहीं खा रही थी। बाद में आरोपी ने दूसरा पास भेजा, लेकिन दोनों पासों में एक ही पत्रांक, आवेदन संख्या और परमिट नंबर पाए गए, जिससे फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। वन विभाग ने पास को संदिग्ध मानते हुए वाहन छोड़ने से इनकार कर दिया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों अभिवहन पासों को जांच के लिए हैदरगढ़ वन प्रभाग भेजा गया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि दोनों पास पूरी तरह फर्जी थे। इसके बाद आरोपी अयाज को गिरफ्तार कर सख्त पूछताछ की गई, जिसमें उसने स्वीकार किया कि वह कई वर्षों से फर्जी अभिवहन पास से लकड़ी तस्करी का काम कर रहा था।
यह कार्रवाई जिला वन प्रभागीय अधिकारी आकाशदीप बाघवान के नेतृत्व में चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। वन विभाग ने साफ संदेश दिया है कि वन माफियाओं और तस्करों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा और ऐसी अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
