उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इन दिनों कड़ाके की ठंड और शीतलहर का प्रकोप जारी है। सुबह के समय घना कोहरा और सर्द हवाएं लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं देखने को मिल रही है। गंगा नगरी काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट से सामने आए वीडियो और तस्वीरें इस बात की गवाही दे रही हैं कि ठंड चाहे जितनी भी हो, आस्था उससे कहीं ज्यादा मजबूत है।

शीतलहर के बीच तड़के सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंच रहे हैं और आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। ठंडे पानी में स्नान करते हुए श्रद्धालु “हर-हर गंगे” और “हर-हर महादेव” के जयकारे लगाते नजर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा स्नान से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि शरीर और मन दोनों को शुद्धता मिलती है। विशेष रूप से माघ मास और शीत ऋतु में गंगा स्नान का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
दशाश्वमेध घाट पर स्नान करने पहुंचे कई श्रद्धालुओं ने बताया कि भले ही ठंड बहुत ज्यादा है, लेकिन गंगा में डुबकी लगाने के बाद एक अलग तरह की शांति और ऊर्जा महसूस होती है। कुछ बुजुर्ग श्रद्धालुओं का कहना है कि वे हर साल सर्दी के मौसम में भी नियमित रूप से गंगा स्नान करते हैं, क्योंकि यह उनकी आस्था और परंपरा का हिस्सा है।
प्रशासन और स्थानीय नगर निगम की ओर से घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। ठंड को देखते हुए पुलिस और स्वयंसेवक श्रद्धालुओं से सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। इसके साथ ही घाटों पर अलाव और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था भी की गई है।
वाराणसी में गंगा स्नान का यह दृश्य एक बार फिर यह साबित करता है कि काशी में आस्था मौसम की मोहताज नहीं होती। चाहे भीषण गर्मी हो या कड़ाके की ठंड, श्रद्धालुओं का विश्वास गंगा मां में अटूट बना रहता है। शीतलहर के बीच गंगा घाटों पर उमड़ी यह भीड़ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की जीवंत तस्वीर भी पेश करती है।
