बरेली – थाना फरीदपुर क्षेत्र की जगदंबा विनियर प्लाई फैक्ट्री में शुक्रवार को 23 वर्षीय मजदूर प्रद्युम्न की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर उस गठजोड़ का पर्दाफाश कर दिया है, जिसने मजदूरों की जिंदगी को मौत की मंडी बना दिया है। न वन विभाग के नियम लागू हैं, न ट्रांसपोर्टिंग नियम की परवाह है, न फैक्ट्री सुरक्षा मानक का पालन। फिर भी कारोबार फलफूल रहा है। सवाल उठता है—ये सब आखिर किसके संरक्षण में हो रहा है? मौत का सिलसिला, लापरवाही का नेटवर्क प्रद्युम्न ट्रक की चपेट में आया और मौके पर ही खत्म हो गयी।महज एक महीने पहले पंचजन्य प्लाई फैक्ट्री में महिला मजदूर की मौत हुई थी। हर बार प्रबंधन की लापरवाही सामने आई, लेकिन कार्रवाई नहीं—क्योंकि सत्ता-प्रशासन की छतरी तले सब महफूज़ है।बरेली प्लाई फैक्ट्रियों का काला सच
प्रबंधन का रवैया जिम्मेदारी से भागना जब मीडिया ने फैक्ट्री मैनेजर से सवाल किए, तो उन्होंने न सिर्फ जवाब देने से इंकार किया बल्कि बदजुबानी कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। साफ है—प्रबंधन को भरोसा है कि ऊपर से संरक्षण मिल रहा है, इसलिए कोई भी कानून इन्हें छू नहीं सकता। हैरानी की बात यह है कि प्रद्युम्न की मौत को मैनेज करने के लिए फैक्ट्री प्रबंधन राखी नोमानी ने परिजनों को आठ लाख का चेक पकड़ा दिया। मतलब साफ है, मजदूर की जिंदगी का रेट तय है। मालिक के लिए इंसान की जान सिर्फ “चेकबुक का पन्ना” है। बरेली प्लाई फैक्ट्रियों का काला सच
फरीदपुर के अग्निशमन अधिकारी द्वितीय सचिन कुमार शाक्य ने कहा जगदंबा विनियर में फायर सेफ्टी सिस्टम तक नहीं है। आग लगने पर हालात काबू से बाहर होंगे। नोटिस जारी किया जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल—क्या नोटिस ही काफी है? क्या हर मौत के बाद सिर्फ नोटिस और तहरीर ही प्रशासन की जिम्मेदारी है।
यह कोई एक फैक्ट्री की कहानी नहीं है यह पूरे इलाके में फैली उन प्लाई फैक्ट्रियों का जाल है, जो वन विभाग, ट्रांसपोर्टिंग नियम, श्रम विभाग और अग्निशमन विभाग को जेब में रखकर चल रही हैं।
अगर संरक्षण ऊपर से न हो तो इतनी खुली लापरवाही, इतनी मौतें और इतनी बड़ी गफलतें कैसे चल सकती हैं। मजदूर की जान सस्ती और मालिक का मुनाफा भारी क्यों ? – सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाने वालों पर कार्रवाई कौन रोके हुए है, – आखिर किसके संरक्षण में मौत की ये फैक्ट्रियां धड़ल्ले से चल रही हैं। बरेली प्लाई फैक्ट्रियों का काला सच