संवादवादा लक्ष्मीकांत तिवारी अतर्रा (बांदा)। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में अवैध मौरंग खनन एक बार फिर गंभीर चिंता का विषय बन गया है। अतर्रा तहसील क्षेत्र के अंतर्गत स्थित “तेराब” मौरंग खंड में बागै नदी की जलधारा को मोड़कर दिन-रात खुलेआम अवैध खनन किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के सख्त नियम, खनिज निदेशक के स्पष्ट निर्देश और जिलाधिकारी के आदेश भी यहां पूरी तरह बेअसर नजर आ रहे हैं।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंधित भारी पोकलैंड मशीनों का इस्तेमाल कर नदी के बीच से मौरंग निकाली जा रही है। आरोप है कि खनन माफिया मोहित मिश्रा के कथित रसूख के चलते प्रशासनिक कार्रवाई ठप पड़ी है। नदी की प्राकृतिक जलधारा को जबरन मोड़ दिया गया है और उसी जलधारा के बीच अवैध पुल का निर्माण कर लिया गया है, ताकि भारी मशीनें और ट्रक बिना रोक-टोक आवाजाही कर सकें।
ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इस अवैध खनन से बागै नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। नदी के किनारों पर तेज भू-कटाव हो रहा है, जिससे आसपास की कृषि भूमि और गांवों को भी खतरा बढ़ गया है। साथ ही, नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव से जलस्तर और भूजल पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अवैध खनन की जानकारी होने के बावजूद संबंधित विभागों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। खनन विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या यह लापरवाही है या फिर माफियाओं के साथ मिलीभगत?
मुख्य आरोप एक नजर में:
- प्रतिबंधित भारी पोकलैंड मशीनों से अवैध मौरंग खनन
- खनन माफिया का प्रशासन पर कथित दबदबा
- बागै नदी की प्राकृतिक जलधारा को मोड़कर खनन
- जलधारा के बीच अवैध पुल का निर्माण
- एनजीटी नियमों की खुलेआम अवहेलना
- खनिज निदेशक और बांदा जिलाधिकारी के आदेशों की अनदेखी
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या बांदा प्रशासन इस अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई करेगा या फिर बागै नदी यूं ही मौरंग माफियाओं की भेंट चढ़ती रहेगी। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो इसके पर्यावरणीय और सामाजिक परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं
