संवाददाता -मोहित पाल बांदा।बांदा की जिलाधिकारी जे. रीभा अपने तेज-तर्रार और ज़मीनी प्रशासनिक अंदाज़ को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में किए गए विकास भवन और जिला महिला चिकित्सालय के औचक निरीक्षण के दौरान भारी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए, जिस पर डीएम ने बिना किसी संकोच के सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। इस दौरान 35 कर्मचारियों और 11 अधिकारियों का एक दिन का वेतन रोकने के साथ ही सभी से 24 घंटे में स्पष्टीकरण मांगा गया है।

विकास भवन में गैरहाजिरी पर कड़ा रुख
निरीक्षण के दौरान डीएम जे. रीभा ने पाया कि कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी समय में नदारद थे। इसे जनसमस्याओं के निस्तारण में लापरवाही मानते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल वेतन रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी स्थिति दोहराई गई तो और कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षक भी कार्रवाई के दायरे में
डीएम का सख्त रुख सिर्फ दफ्तरों तक सीमित नहीं रहा। कुछ सरकारी स्कूलों के निरीक्षण में सामने आया कि छात्र सरल हिंदी कविता तक नहीं सुना पाए। इसे शैक्षणिक लापरवाही मानते हुए संबंधित प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों का वेतन रोकने के निर्देश दिए गए। डीएम ने स्पष्ट कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
महिला चिकित्सालय में औचक निरीक्षण
जिलाधिकारी ने जिला महिला चिकित्सालय का भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पीएनसी वार्ड, एसएनसीयू वार्ड, लेबर रूम और ओपीडी की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।निरीक्षण में पीएनसी वार्ड में नवप्रसूताओं की केस शीट न मिलना और स्टाफ नर्स का अनुपस्थित होना गंभीर लापरवाही मानी गई। इसके बाद संबंधित स्टाफ नर्स का एक दिन का वेतन रोकने के निर्देश दिए गए।इसके अलावा निरीक्षण के समय 06 डॉक्टर, 02 लैब टेक्नीशियन और 08 अन्य कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए, जिनका भी एक दिन का वेतन काटने का आदेश दिया गया। डीएम ने मेडिकल स्टाफ का ड्यूटी चार्ट बनाकर डिस्प्ले बोर्ड पर लगाने, तथा प्रसव के बाद नवप्रसूताओं को कम से कम 48 घंटे अस्पताल में रखने के निर्देश दिए।
सादगी और सख्ती का संगम
डीएम जे. रीभा की कार्यशैली को लेकर जिले में चर्चा है न घमंड, न लाव-लश्कर, न वीआईपी दिखावा, बल्कि सीधी बात और जवाबदेही।उनका स्पष्ट संदेश है कि सरकारी सेवा का मतलब जिम्मेदारी है, लापरवाही नहीं।
