संवाददाता: प्रमोद शर्मा
स्थान: बरेली थाना फरीदपुर क्षेत्र के कंजेवाली जरत पर मंगलवार को एक अज्ञात वाहन की टक्कर से गंभीर रूप से घायल हुआ गोवंश घंटों सड़क पर तड़पता रहा, लेकिन संबंधित विभाग और प्रशासनिक अधिकारी मानो बेखबर बने रहे। बरेली लापरवाही की कीमत – सड़क पर तड़पते-तड़पते गोवंश की मौत

स्थानीय निवासी शैलेश सिंह ने घटना की जानकारी मिलते ही गौ रक्षक विकास सिंह और सत्यम गौड़ को बुलाया। पशु चिकित्सा अधिकारी मौके पर आए, लेकिन घायल गोवंश को किसी भी पशु चिकित्सालय या आश्रय में भर्ती करने से साफ इंकार कर दिया, केवल एक इंजेक्शन लगाकर चले गए। बरेली लापरवाही की कीमत – सड़क पर तड़पते-तड़पते गोवंश की मौत

एसडीएम फरीदपुर को व्हाट्सएप पर सूचना भेजी गई, लेकिन वहां से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। गौ रक्षक विकास सिंह का आरोप है कि अधिकारियों ने उनके नंबर ब्लैकलिस्ट कर रखे हैं, जिससे आपात स्थिति में भी मदद नहीं मिल पाती।
आखिरकार मेनका गांधी ट्रस्ट, चौबारी से मदद मंगाई गई, लेकिन जब तक गाड़ी पहुंची, घायल गोवंश ने दम तोड़ दिया। बाद में नगर पालिका और पुलिस उप निरीक्षक उज्जवल गंभीर की मदद से जेसीबी मशीन से गड्ढा खुदवाकर अंतिम संस्कार कराया गया। बरेली लापरवाही की कीमत – सड़क पर तड़पते-तड़पते गोवंश की मौत

यह घटना सवाल खड़े करती है—
- जब पशु चिकित्सा अधिकारी मौके पर मौजूद थे, तो भर्ती करने से इनकार क्यों?
- एसडीएम और प्रशासनिक अधिकारियों ने तत्काल निर्णय क्यों नहीं लिया?
अगर समय पर इलाज और परिवहन की व्यवस्था होती, तो शायद गोवंश की जान बच सकती थी। यह मामला केवल एक जानवर की मौत का नहीं, बल्कि उस प्रशासनिक संवेदनहीनता का सबूत है, जिसमें तंत्र तब तक नहीं जागता, जब तक तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल न हो जाएं। बरेली लापरवाही की कीमत – सड़क पर तड़पते-तड़पते गोवंश की मौत