बिज़नेस डेस्क।कीमती धातुओं के बाजार में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। हाल ही में पहली बार दो लाख रुपये प्रति किलो के पार पहुंचने के बाद अब चांदी की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर मार्च 2026 एक्सपायरी वाली चांदी ₹1,92,784 प्रति किलो पर कारोबार करती नजर आई। इसी के साथ MCX पर सोना और चांदी दोनों की कीमतों में दबाव देखने को मिला है।

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, इस गिरावट के पीछे एक नहीं बल्कि कई वैश्विक और घरेलू कारण एक साथ काम कर रहे हैं। सबसे बड़ा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार से आया है। डॉलर इंडेक्स में मजबूती के संकेत मिले हैं, जिससे सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं पर दबाव बनता है। आमतौर पर डॉलर मजबूत होने पर निवेशक कमोडिटी से दूरी बनाते हैं, क्योंकि यह अन्य मुद्राओं के मुकाबले महंगी हो जाती है।
इसके अलावा अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में हल्की बढ़त ने भी सोने और चांदी की चमक को फीका किया है। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से निवेशक सुरक्षित और निश्चित रिटर्न वाले विकल्पों की ओर शिफ्ट होते हैं, जिससे कीमती धातुओं में बिकवाली बढ़ जाती है।एक अन्य अहम वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति को लेकर अनिश्चितता है। अभी तक यह साफ नहीं है कि फेड आगे ब्याज दरों में कटौती करेगा या सख्त रुख बनाए रखेगा। इस अनिश्चितता का सीधा असर कमोडिटी बाजार पर पड़ा है और निवेशक सतर्क रुख अपनाते नजर आ रहे हैं।
वहीं, चांदी के ऊपरी स्तरों पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली (प्रॉफिट बुकिंग) भी की है। जब कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचती हैं, तो बड़े निवेशक मुनाफा निकालने लगते हैं, जिससे अचानक गिरावट देखने को मिलती है। यही स्थिति इस बार चांदी के साथ भी देखने को मिली।विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में चांदी और सोने की कीमतें वैश्विक संकेतों, डॉलर की चाल और फेड की नीतियों पर निर्भर रहेंगी। हालांकि लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह गिरावट खरीदारी का मौका भी साबित हो सकती है, लेकिन शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।
