भारत में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन चुकी हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े पेश करते हुए बताया कि हर साल देश में करीब 5 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 1 लाख 80 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से 67 प्रतिशत मृतक 18 से 34 वर्ष की उम्र के युवा होते हैं, जो देश की सबसे सक्रिय और उत्पादक आबादी माने जाते हैं।

नितिन गडकरी ने कहा कि सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने एम्स (AIIMS) की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अगर दुर्घटना के शिकार लोगों को समय पर इलाज मिल जाए, तो हर साल करीब 50 हजार जानें बचाई जा सकती हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि हादसे के बाद मौके पर मौजूद लोग अक्सर घायल की मदद करने से हिचकिचाते हैं।
मदद करने से डरते हैं लोग
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आम लोगों को डर रहता है कि अगर वे घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाएंगे, तो उन्हें पुलिस और कानूनी झंझटों में फंसना पड़ सकता है। इसी डर के कारण कई बार घायल व्यक्ति को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उसकी जान चली जाती है।
‘राहवीर’ योजना: मदद पर इनाम
इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है। नितिन गडकरी ने बताया कि अब सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की मदद करने वालों को डरने की नहीं, बल्कि आगे आने की जरूरत है। ऐसे मददगार लोगों को सरकार ने ‘राहवीर’ की संज्ञा दी है।उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी सड़क दुर्घटना में घायल को अस्पताल पहुंचाता है, तो उसे सरकार की ओर से 25 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य लोगों को प्रोत्साहित करना है ताकि वे बिना किसी भय के मानवता का परिचय देते हुए घायलों की मदद कर सकें।
युवाओं की मौत सबसे बड़ी चिंता
गडकरी ने कहा कि सड़क हादसों में युवाओं की बड़ी संख्या में मौत देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। सरकार सड़क सुरक्षा, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, तेज इलाज व्यवस्था और जनजागरूकता के जरिए इन आंकड़ों को कम करने की दिशा में काम कर रही है।सरकार को उम्मीद है कि ‘राहवीर योजना’ से न सिर्फ घायलों को समय पर इलाज मिलेगा, बल्कि हजारों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी
