CR PATIL PRAISES MODI: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गुरुवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीते 11 वर्षों में हुए व्यापक और समावेशी विकास की सराहना की। उन्होंने कहा कि हर वर्ग को इस सरकार से कुछ सार्थक मिला है – चाहे वह किसान हो, महिला, युवा या वैज्ञानिक। CR PATIL PRAISES MODI
उन्होंने जोर देकर कहा कि 2014 में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था था और अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, और अब चौथे पायदान की ओर बढ़ रहा है।CR PATIL PRAISES MODI
किसानों को बिना आवेदन मिला सम्मान- CR PATIL PRAISES MODI
सीआर पाटिल ने बताया कि पहले किसानों को सरकारी सहायता के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन मोदी सरकार ने पहली बार किसानों को सीधे सम्मान देने का काम किया। पीएम किसान सम्मान योजना के तहत सालाना ₹6000 सीधे बैंक खातों में पहुंच रहे हैं। CR PATIL PRAISES MODI
उन्होंने कहा, “पहले Annadata को सहायता पाने के लिए भीख मांगनी पड़ती थी, आज उन्हें बिना आवेदन सम्मानपूर्वक सहायता मिल रही है।”
विज्ञान से सुरक्षा तक, हर मोर्चे पर सफल भारत- CR PATIL PRAISES MODI
सीआर पाटिल ने चंद्रयान मिशन की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने न केवल ज़मीन पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी विजय पताका फहराई है। उन्होंने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि सरकार का समर्थन हमेशा उनके साथ है। CR PATIL PRAISES MODI
सुरक्षा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और आतंकवादियों को कड़ा संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा, “पहालगाम में हुई कार्रवाई ने साबित कर दिया कि भारत अब हर हमले का जवाब सख्ती से देता है। हम गीदड़ भभकियों से डरने वाले नहीं हैं।”
जल जीवन मिशन और जन भागीदारी
उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन के लिए ₹501 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है और जल संरक्षण पर जन भागीदारी से काम किया जा रहा है। गुजरात के बनासकांठा जिले में 35 जल पुनर्स्थापना संरचनाएं जनता की मदद से बनाई गई हैं। CR PATIL PRAISES MODI
सिंधु जल संधि पर रुख साफ
जब सिंधु जल संधि पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं सीधे तौर पर इस विषय से नहीं जुड़ा हूं, लेकिन भारत सरकार जो भी फैसला लेती है, वह देशहित में ही होता है।” CR PATIL PRAISES MODI
बचपन की यादें और प्रेरणा
सीआर पाटिल ने भावुक होते हुए अपने बचपन की बात साझा की कि वो आर्किटेक्ट बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें वकालत की राह पर आगे बढ़ाया क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण वह खुद वकील नहीं बन पाए थे।