मेरठ: मासूम बच्चों को पाकिस्तान भेजने पर रोई भारतीय सना, अब पीएम मोदी से की ये खास अपील- MEERUT SANA APPEALS TO PM MODI

MEERUT SANA APPEALS TO PM MODI

मेरठ: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव देखने को मिल रहा है. भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने का फरमान (MEERUT SANA APPEALS TO PM MODI) सुनाया है. इस आदेश के बाद मेरठ की बेटी और पाकिस्तान की बहू को आखिरकार अपने बच्चे पाकिस्तान भेजने पड़े. दरअसल, पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ी टेंशन के बीच आफत सना के परिवार पर आ पड़ी है.

भारतीय सना देश में रहने पर मजबूर है. वहीं, पाकिस्तानी बच्चे पाकिस्तान भेज दिए गए हैं और पति और परिवार पहले से पाकिस्तान में मौजूद है. सरहद के इस पर और उसे पर दोनों तरफ बेचैनी है यहां सना अपने परिवार के पास जाने के लिए पीएम मोदी से गुहार लगा रही है. वहीं सरहद के उस पार सना के पति और बच्चे भी उसे वापस लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं. (MEERUT SANA APPEALS TO PM MODI)

यह घटना मेरठ जिले के सरधना क्षेत्र की है, जहां सना इन दिनों अपने मायके में रह रही हैं. सना की शादी 2020 में पाकिस्तान के कराची निवासी डॉक्टर बिलाल से हुई थी. फिलहाल उनके पति और बच्चे पाकिस्तान में हैं जबकि सना भारत में ही रह गई हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी ने इस परिवार को दो हिस्सों में बाँट दिया है.

बच्चों को अटारी बॉर्डर से भेजना पड़ा पाकिस्तान
हाल ही में जब सना अपने परिवार के साथ भारत आईं, तो वह अपने दो छोटे बच्चों को भी साथ लाई थीं. लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी बढ़ गई. इसके चलते सना को अपने बच्चों को अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान भेजना पड़ा, जबकि वह खुद लौट नहीं सकीं.

बॉर्डर पर बच्चों को विदा करते समय सना की आंखें नम थीं. कैमरे के सामने उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा, “मेरे बच्चे वहां हैं, मेरा परिवार वहां है, लेकिन मैं यहां रह गई हूं. मेरे पास पाकिस्तान लौटने के लिए वैध दस्तावेज नहीं हैं. मैं प्रधानमंत्री मोदी जी से हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि मुझे मेरे परिवार के पास भेजने में मदद करें.”

परिवार का समर्थन, सरकार से गुहार
सना के पिता मोहम्मद फेरू ने बताया कि उनका परिवार पूरी तरह हिंदुस्तान के साथ है. उन्होंने कहा, “हम भारतीय हैं, भारत का कानून मानते हैं. लेकिन एक बेटी के दर्द को समझना चाहिए. वह मां है, उसके बच्चे सरहद पार हैं, उसका दिल वहां है.” सना की यह कहानी न सिर्फ एक पारिवारिक बिछड़न की दास्तान है, बल्कि यह उन जटिलताओं को भी उजागर करती है जो दो देशों के बीच के संवेदनशील संबंधों में आम इंसान को झेलनी पड़ती हैं.

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