इटावा पुलिस पर मनमानी के आरोप: अवैध हूटर के नाम पर पत्रकार से अभद्रता, 1.10 लाख का चालान- ETAWAH CHALLAN NEWS

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इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कन्नौज के एक पत्रकार को (ETAWAH CHALLAN NEWS) न केवल पुलिसिया मनमानी का सामना करना पड़ा बल्कि कोतवाल की अभद्रता और धक्कामुक्की जैसी घटनाओं का भी शिकार होना पड़ा. पत्रकार अपनी बीमार बहन को इलाज के लिए 8 मई 2024 को इटावा लाए थे, लेकिन यहां की पुलिस व्यवस्था उनके लिए खुद एक चुनौती बन गई.

इटावा के कोतवाली क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों ने पत्रकार की निजी कार (UP74 M 6999) को अवैध हूटर के नाम पर रोका और तत्काल ₹1,00,000 का चालान काट दिया. कोतवाली प्रभारी यशवंत सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए पत्रकार को धक्का दिया और उसकी बातों को पूरी तरह अनसुना कर दिया.

एक ही मामले में दो चालान! ETAWAH CHALLAN NEWS

यह मामला तब और अधिक पेचीदा हो गया जब पीड़ित पत्रकार ने चालान की दोनों रसीदें सार्वजनिक कीं:

  • पहला चालान: ₹1,00,000 — दिनांक: 08.05.2024, समय: 19:31:48
  • दूसरा चालान: ₹10,000 — दिनांक: 09.05.2025, समय: 13:12:15

चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों चालान एक ही गाड़ी और एक ही आरोप “अवैध हूटर” पर आधारित हैं. मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, निजी वाहनों में हूटर लगाने पर अधिकतम ₹10,000 का चालान तय है. ऐसे में ₹1,00,000 का चालान पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है.

क्या है मोटर वाहन अधिनियम में प्रावधान?

मोटर वाहन अधिनियम 2019 के अनुसार, निजी वाहन में हूटर या सायरन लगाना प्रतिबंधित है और इसका उल्लंघन करने पर अधिकतम ₹10,000 तक का जुर्माना तय किया गया है. लेकिन इटावा पुलिस द्वारा ₹1 लाख का चालान किया जाना सीधे-सीधे कानून की अवहेलना का संकेत देता है.

पत्रकारों में रोष, संगठनों ने उठाई आवाज़

घटना की जानकारी फैलते ही पत्रकार संगठनों में भारी नाराजगी देखने को मिली. कई वरिष्ठ पत्रकारों और संगठनों ने इसे पत्रकारिता की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कोतवाल के तत्काल निलंबन और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.

स्थानीय पत्रकार संगठन ने कहा कि—“यह न केवल पत्रकार की गरिमा का हनन है, बल्कि पुलिसिया मनमानी का खतरनाक उदाहरण भी है.”

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

अब तक जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. यह चुप्पी अपने आप में कई सवाल खड़े करती है:

  • पुलिस को ₹1 लाख का चालान करने का अधिकार किस नियम के तहत मिला?
  • यदि यह चालान गलत है, तो अब तक कोई सुधारात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

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