नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री बनने की कहानी राजनीतिक गलियारों में हमेशा चर्चा का विषय रही है।

अब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस विषय पर कुछ अहम और गुप्त पहलुओं का खुलासा किया है।

पीयूष गोयल के अनुसार, योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया में सत्तारूढ़ पार्टी के संगठनात्मक निर्णय, राजनीतिक समीकरण और जन समर्थन का मिश्रण निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की पहचान केवल एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि समाज और राजनीति में सक्रिय संगठनकर्ता के रूप में थी, जो चुनावी जीत और प्रशासनिक दक्षता दोनों में सक्षम थे।

गुप्त पहलू और राजनीतिक रणनीति
पीयूष गोयल ने बताया कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने में पार्टी नेतृत्व की गहन रणनीति शामिल थी। यह केवल लोकप्रियता का मामला नहीं था, बल्कि पार्टी की नीति, संगठनात्मक मजबूती और उत्तर प्रदेश की सामाजिक-राजनीतिक संरचना को ध्यान में रखकर यह निर्णय लिया गया।उन्होंने यह भी खुलासा किया कि मुख्यमंत्री पद के लिए योगी का चयन सुरक्षित और निर्णायक विकल्प माना गया था। उनका दृष्टिकोण और प्रशासनिक क्षमता, साथ ही जनता के बीच मजबूत पकड़, उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए सबसे भरोसेमंद उम्मीदवार बनाती थी।
उत्तर प्रदेश में बदलाव की दिशा
पीयूष गोयल के अनुसार, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने कई क्षेत्रों में विकास की नई दिशा देखी। कानून-व्यवस्था में सुधार, निवेश आकर्षण और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में शामिल था।गोयल ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री बनने की कहानी राजनीतिक रणनीति और जनता के समर्थन का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि सत्तारूढ़ पार्टी में निर्णय लेने की प्रक्रिया में सिर्फ राजनीतिक समीकरण ही नहीं, बल्कि जन-विश्वास और नेतृत्व क्षमता भी निर्णायक होती है।
