संवाददाता शिवाकांत दीक्षित उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले से मनरेगा में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है। विकासखंड परसेंडी की ग्राम पंचायत धरनाग में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीनी हकीकत और सरकारी रिकॉर्ड में भारी अंतर देखने को मिल रहा है।

मौके की स्थिति यह है कि कार्यस्थल पर केवल 5 श्रमिक काम करते हुए पाए जाते हैं, जबकि ऑनलाइन और कागजी रिकॉर्ड में 65 से 70 श्रमिकों की उपस्थिति लगातार दर्ज की जा रही है। इससे साफ संकेत मिलता है कि सीतापुर मनरेगा भ्रष्टाचार के तहत फर्जी मजदूर दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही है।
आरोप है कि इस पूरे मामले में खंड विकास अधिकारी (BDO), ग्राम सचिव, तकनीकी सहायक, ग्राम प्रधान और डीसी मनरेगा की मिलीभगत से सरकार के साथ आंख मिचौली का खेल खेला जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार केवल धरनाग पंचायत तक सीमित नहीं है, बल्कि सीतापुर जिले के अन्य विकासखंडों में भी इसी तरह की गतिविधियां सामने आ रही हैं।
जानकारी के अनुसार हरगांव विकासखंड की ग्राम पंचायत सिकंदरपुर में भी मनरेगा के तहत इसी तरह का भ्रष्टाचार अंजाम दिया जा रहा है। आरोप यह भी है कि जिला स्तर के कुछ सक्षम अधिकारियों की सहमति से इस पूरे सिस्टम को संरक्षण मिल रहा है, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रहा है।
जब इस मामले में विकासखंड स्तर के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। वहीं, जिला स्तरीय डीसी मनरेगा से बात करने का प्रयास भी असफल रहा। अधिकारियों की यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है और आरोपों को और मजबूती देती है।
मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में इस तरह का भ्रष्टाचार न केवल सरकार की मंशा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि ग्रामीण मजदूरों के हक पर भी डाका डालता है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन और शासन स्तर पर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती है या नहीं।
