Krishna Janmbhoomi case: मथुरा के बहुचर्चित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। हिंदू पक्ष की ओर से मस्जिद को “विवादित ढांचा” घोषित करने की याचिका को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया है।
इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि याचिका में मांग की गई थी कि जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था, वैसे ही शाही ईदगाह को भी घोषित किया जाए। Krishna Janmbhoomi case
🔹 हाईकोर्ट ने क्या कहा? –Krishna Janmbhoomi case
इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि “मौजूद तथ्यों और रिकॉर्ड के आधार पर शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा नहीं माना जा सकता।”

2 अगस्त 2025 को इस मामले की अगली सुनवाई निर्धारित की गई है। इससे पहले 5 मार्च 2025 को हिंदू पक्ष ने यह याचिका दाखिल की थी, जिस पर 23 मई को बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा गया था।
🔹 हिंदू पक्ष का क्या कहना था? –Krishna Janmbhoomi case
हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि ईदगाह मस्जिद का निर्माण श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था, जो ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से गलत है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष इस बात का आज तक कोई प्रामाणिक सबूत पेश नहीं कर सका कि वहां कभी मस्जिद थी। Krishna Janmbhoomi case
🔹 मुस्लिम पक्ष का पक्ष- Krishna Janmbhoomi case
मुस्लिम पक्ष लगातार यह कहता आया है कि ईदगाह मस्जिद वैध रूप से अस्तित्व में है और उसे तोड़े गए किसी मंदिर की जमीन पर नहीं बनाया गया। वे 1968 में हुए समझौते का हवाला देते हैं, जिसमें जन्मभूमि ट्रस्ट और ईदगाह कमेटी के बीच सहमति से भूमि का विभाजन किया गया था। Krishna Janmbhoomi case
🔹 क्या है विवाद की जड़?- Krishna Janmbhoomi case
यह विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ भूमि को लेकर है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह दोनों स्थित हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि 1670 में मुगल शासक औरंगजेब ने श्रीकृष्ण मंदिर को तुड़वाकर उसकी जगह मस्जिद बनवाई थी। वे पूरी भूमि को श्रीकृष्ण जन्मस्थान बताते हैं। Krishna Janmbhoomi case
वहीं मुस्लिम पक्ष इस दावे को सिरे से खारिज करता है और दोनों धार्मिक स्थलों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की बात करता है। Krishna Janmbhoomi case
🔹 राजनीतिक और धार्मिक हलचल
यह मामला पिछले कुछ वर्षों से राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील बना हुआ है। अयोध्या राम मंदिर फैसले के बाद इस मुद्दे पर हिंदू संगठनों की सक्रियता बढ़ी है, लेकिन अदालतें अब तक मौजूद तथ्यों के आधार पर निर्णय ले रही हैं।