Mainpuri Bulldozer Action: कहते हैं, गरीब का सपना पूरा होने से पहले टूट जाता है। मैनपुरी के अकबरपुर गांव में कुछ ऐसा ही हुआ। ओम शरण कठेरिया, एक दलित किसान, जिन्हें 2003 में एसडीएम ने मकान बनाने के लिए जमीन का पट्टा दिया था। उस वक्त उनकी जेब खाली थी, मकान बनाने का सपना सिर्फ सपना ही रहा। सालों की मेहनत के बाद, जब ओम शरण ने अपने परिवार के लिए पट्टे की जमीन पर छत डालनी शुरू की, तो अचानक बुलडोजर आ गया। एसडीएम घिरोर प्रसून कश्यप, पुलिस और राजस्व टीम के साथ पहुंचे और उनके आधे बने मकान को अवैध बताकर ध्वस्त कर दिया। Mainpuri Bulldozer Action

जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि ओम शरण की जमीन की पैमाइश नहीं हुई थी। पट्टे में दी गई जमीन का सही चिन्हांकन न होने से वह जिस जगह मकान बना रहे थे, वह गलत निकली। सुनकर मन सवाल उठाता है—जब पट्टा दिया था, तो जमीन की निशानदेही क्यों नहीं की गई? गरीब को घर का हक देकर उसका सपना तोड़ा क्यों? जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर आगे भी चलेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि सरकारी या ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा न करें, वरना कानूनी कार्रवाई होगी। Mainpuri Bulldozer Action

यह सिर्फ ओम शरण की कहानी नहीं, बल्कि उन तमाम गरीबों की है, जिन्हें सिस्टम के चक्कर में उलझा दिया जाता है। मैनपुरी में अतिक्रमण रोकना जरूरी है, लेकिन क्या प्रशासन पहले सही नक्शा और पट्टे की जमीन का ब्योरा सुनिश्चित नहीं कर सकता? ओम शरण जैसे लोग अब क्या करें? उनका हक कौन देगा? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि गरीबों के लिए न्याय का रास्ता इतना मुश्किल क्यों है? Mainpuri Bulldozer Action
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