लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप (UP DNA Row) के भंवर में उलझती नजर आ रही है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक द्वारा समाजवादी पार्टी के “डीएनए” पर की गई टिप्पणी ने सूबे की राजनीति में हलचल मचा दी है. पाठक की इस टिप्पणी के जवाब में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे ‘अशोभनीय’ बताते हुए मर्यादा में रहने की सलाह दी है. हालांकि, ब्रजेश पाठक ने पलटवार करते हुए स्पष्ट किया कि उनके कहे डीएनए का संबंध किसी व्यक्ति नहीं, बल्कि सपा की कार्यप्रणाली, विचारधारा और चरित्र से था.
यह विवाद तब शुरू हुआ जब ब्रजेश पाठक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सपा के डीएनए में खामी का उल्लेख किया. इस पर समाजवादी पार्टी की मीडिया इकाई ने उनके माता-पिता पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी. आलोचना और मुकदमे की आशंका के चलते बाद में वह पोस्ट हटा दी गई. जवाब में अखिलेश यादव ने पाठक को नसीहत दी कि वे यदुवंशियों के डीएनए पर टिप्पणी करने से बचें.
सोमवार सुबह ब्रजेश पाठक ने एक और पोस्ट कर स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी किसी समुदाय विशेष को लेकर नहीं थी, बल्कि सपा की विचारधारा पर आधारित थी. उन्होंने कहा, “सपा का डीएनए यानी उसकी चाल, चरित्र और चेहरा जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति पर आधारित रहा है. मुस्लिम तुष्टीकरण समाजवादी पार्टी की राजनीति का मूल हिस्सा रहा है.”
ब्रजेश पाठक ने सपा पर आरोप लगाया कि वह हमेशा दलितों के अधिकारों को दबाने और समाज को बांटने का कार्य करती रही है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की सरकार ने मुख्यमंत्री रहते हुए आतंकियों से जुड़े 14 केस वापस लिए थे, जो तुष्टीकरण की नीति को दर्शाता है.
अखिलेश यादव का पलटवार और सियासी मर्यादा की नसीहत– UP DNA Row
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ब्रजेश पाठक की टिप्पणी को अमर्यादित करार देते हुए कहा कि यह भाजपा नेताओं की गिरती हुई सोच का प्रतीक है. उन्होंने पाठक को यह याद दिलाने की कोशिश की कि उत्तर प्रदेश की जनता अब जातीय भेदभाव और सांप्रदायिकता की राजनीति को नहीं सहती.
अखिलेश यादव ने कहा कि डीएनए पर टिप्पणी करना पूरी बिरादरी और उनके सम्मान पर सवाल उठाने जैसा है. उन्होंने भाजपा से अपील की कि वह चुनावों में विकास और मुद्दों की राजनीति करे, न कि व्यक्तिगत आक्षेप और जातीय विवादों को हवा दे.
ओम प्रकाश राजभर का संतुलन और फोकस राजनीति पर, UP DNA Row
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख और यूपी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने दोनों दलों को सलाह देते हुए कहा कि राजनीति में ऐसे बयानबाजी से ज्यादा मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा, “डीएनए पर बात करने की बजाय बेरोजगारी, शिक्षा, महंगाई और किसान हितों जैसे मुद्दों पर चर्चा हो तो बेहतर होगा.”
राजभर ने यह भी कहा कि जब नेता सत्ता में होते हैं तो सब कुछ अच्छा लगता है, लेकिन सत्ता जाते ही उन्हें खामियां नजर आने लगती हैं. उन्होंने सपा नेताओं को भी नसीहत दी कि वे गेस्टहाउस कांड को न भूलें और दोहरे मापदंड अपनाने से बचें.
केतकी सिंह का हमला: सपा पाकिस्तान प्रेमी मानसिकता वाली पार्टी, UP DNA Row
बलिया की बांसडीह से भाजपा विधायक केतकी सिंह ने इस विवाद को लेकर सपा पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा भारत विरोधी मानसिकता को बढ़ावा देती है. उन्होंने पूछा कि जब पाकिस्तान पर कार्रवाई होती है तो सपा नेताओं को दर्द क्यों होता है?
केतकी सिंह ने कहा कि यह मानसिकता दर्शाती है कि सपा नेताओं की निष्ठा कहां है. उन्होंने अखिलेश यादव पर आरोप लगाते हुए कहा, “ये भारत में रहते हैं, भारत का खाते हैं और पाकिस्तान की बात करते हैं.” उन्होंने ब्रजेश पाठक पर की गई टिप्पणियों को गंदी मानसिकता बताया और कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
विश्लेषण: सियासी बयानबाजी से किसका नुकसान ?, UP DNA Row
विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण तो पैदा करती है, लेकिन असली मुद्दे पीछे छूट जाते हैं. रोजगार, महंगाई, शिक्षा और किसानों के विषय पर बहस होनी चाहिए, लेकिन नेताओं की प्राथमिकता बयानबाजी तक सीमित रह गई है. राजनीतिक दलों को समझना होगा कि मतदाता अब ज्यादा जागरूक हो चुका है और वह सिर्फ जुबानी जंग से नहीं, बल्कि ठोस नीतियों से प्रभावित होता है.
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सोर्स- ETV BHARAT