Akhilesh Yadav action: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने तीन प्रमुख विधायकों – अमेठी की गौरीगंज सीट से राकेश प्रताप सिंह, रायबरेली की ऊंचाहार सीट से मनोज पांडेय और अयोध्या की गोसाईगंज सीट से अभय सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह फैसला सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लिया, जिन्होंने इन विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ नजदीकी बढ़ाने का आरोप लगाया। यह कदम सपा की विचारधारा और अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत संदेश माना जा रहा है।
बागी विधायकों की बीजेपी से बढ़ती नजदीकी- Akhilesh Yadav action
पिछले कुछ समय से ये तीनों विधायक सपा की विचारधारा से हटकर काम कर रहे थे। विशेष रूप से, 2024 के राज्यसभा चुनाव में इन विधायकों ने सपा के प्रत्याशियों के बजाय बीजेपी समर्थित उम्मीदवारों को वोट दिया था। इस क्रॉस वोटिंग ने सपा के तीसरे उम्मीदवार आलोक रंजन की हार का कारण बना, जबकि बीजेपी के आठवें उम्मीदवार संजय सेठ को जीत मिली। इस घटना ने सपा के भीतर गहरी नाराजगी पैदा की थी।
इसके अलावा, हाल ही में इन तीनों विधायकों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी थी। यह मुलाकात उस समय हुई जब बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की रणनीति बना रही थी। सपा ने इसे पार्टी के मूल सिद्धांतों के खिलाफ माना और इन विधायकों को निष्कासित करने का फैसला लिया।
सपा का सख्त रुख: विचारधारा से कोई समझौता नहीं- Akhilesh Yadav action
समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर बयान जारी करते हुए कहा कि इन विधायकों ने “सांप्रदायिक, विभाजनकारी और नकारात्मक विचारधारा” का समर्थन किया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि ये विधायक किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और सपा की ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) विचारधारा के खिलाफ काम कर रहे थे।
सपा ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि इन विधायकों को सुधार का मौका दिया गया था, लेकिन उनकी ‘अनुग्रह अवधि’ अब समाप्त हो चुकी है। पार्टी ने यह भी कहा कि भविष्य में भी जन-विरोधी और पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ काम करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
सात बागी विधायकों में से तीन पर कार्रवाई- Akhilesh Yadav action
2024 के राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इनमें राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय, अभय सिंह, राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्या शामिल थे। हालांकि, सपा ने अभी केवल तीन विधायकों को निष्कासित किया है। शेष चार विधायकों – राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्या को सपा ने उनके हाल के व्यवहार में सुधार के आधार पर अभी और समय दिया है।
सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि बाकी विधायकों ने पीडीए के प्रति अपनी आस्था दिखाई है, जिसके कारण उन्हें अभी पार्टी में रखा गया है। यह कदम सपा के रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें वह अपनी विचारधारा को बनाए रखने के साथ-साथ पार्टी के भीतर एकता को भी प्राथमिकता दे रही है।
बीजेपी के साथ नजदीकी: क्या होगा अगला कदम?- Akhilesh Yadav action
इन तीनों विधायकों की बीजेपी के साथ बढ़ती नजदीकी ने सवाल उठाए हैं कि क्या ये विधायक अब बीजेपी में शामिल होंगे। मनोज पांडेय पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, और राकेश प्रताप सिंह व अभय सिंह भी बीजेपी नेताओं के साथ सक्रिय रूप से संपर्क में थे। हालांकि, बीजेपी ने अभी तक इन विधायकों को कोई बड़ा ऑफर नहीं दिया है, और लोकसभा चुनाव में इन विधायकों की सीटों पर बीजेपी को कोई खास फायदा भी नहीं मिला।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इन विधायकों को विधान परिषद या अन्य छोटे पदों पर समायोजित करने पर विचार कर सकती है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये विधायक अपनी सीटों पर फिर से जीत हासिल कर पाएंगे। अगर इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द होती है, तो उपचुनाव की स्थिति बन सकती है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
सपा की रणनीति और भविष्य- Akhilesh Yadav action
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अपनी विचारधारा और अनुशासन के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। 2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 के पंचायत चुनाव को देखते हुए सपा ने संगठन में बड़े बदलाव शुरू कर दिए हैं। हाल ही में कुशीनगर को छोड़कर सभी जिलों की कार्यकारिणी भंग की गई है, ताकि एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत को लागू किया जा सके।
यह कदम सपा की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अपनी छवि को और मजबूत करना चाहती है। अखिलेश यादव ने बार-बार जोर दिया है कि सपा सामाजिक न्याय, समानता और पीडीए की विचारधारा पर आधारित है। इस निष्कासन के जरिए सपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो भी इस विचारधारा के खिलाफ जाएगा, उसे पार्टी में जगह नहीं मिलेगी।
समाजवादी पार्टी का यह सख्त कदम न केवल बागी विधायकों के लिए एक सबक है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है। राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह का निष्कासन सपा की विचारधारा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह होगा कि ये विधायक बीजेपी के साथ अपनी सियासी राह कैसे बनाते हैं और सपा इस स्थिति का फायदा उठाकर अपनी स्थिति को और मजबूत करने में कितनी सफल होती है।
सोर्स- ETV BHARAT