लखनऊ :भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर साल करीब 20 लाख लोगों की मौत होती है। यह बात किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के श्वास रोग विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्य कान्त ने कही। वह सीएसआईआर–सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ में आयोजित “वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती” विषयक विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे।डॉ. सूर्य कान्त ने कहा कि वायु प्रदूषण से निमोनिया, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और फेफड़ों के कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि पैसिव स्मोकिंग यानी परोक्ष धूम्रपान भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या है “सिगरेट का 70% धुआं हवा में फैलकर आसपास के लोगों को नुकसान पहुंचाता है।”

बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ा खतरा
उन्होंने बताया कि प्रदूषित हवा से बच्चों में कुपोषण, मोटापा और विकास अवरोध (Stunting) जैसी समस्याएं होती हैं। वहीं, गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशु इस प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं — इससे गर्भ में बच्चे का विकास रुक सकता है और जन्मजात बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
खुले में कचरा जलाना खतरनाक
डॉ. सूर्य कान्त ने कहा कि प्रदूषण के मुख्य कारणों में वाहनों का धुआं, खुले में कचरा जलाना, औद्योगिक धुआं, निर्माण कार्यों की धूल और घरों में लकड़ी-कोयला जलाना शामिल हैं। उन्होंने सीडीआरआई द्वारा हरित गुलदस्ता (Green Bouquet) जैसी पर्यावरण-हितैषी पहल की सराहना की और प्लास्टिक के न्यूनतम उपयोग पर जोर दिया।
कार्यक्रम में डॉ. रश्मि राठौर, डॉ. आकाश शर्मा, डॉ. कंचन, नवीन पांडे (लंग केयर फाउंडेशन) समेत कई वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारी मौजूद रहे।