ब्रिटिश इंजीनियरिंग का कमाल: 19वीं सदी का सोंधिया पुल आज भी मजबूती का प्रतीक

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संवाददाता लवलेश कुमार कौशाम्बी। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बनाई गई इंजीनियरिंग की मिसाल, सोंधिया का पुल आज भी मजबूती और सटीक निर्माण का प्रतीक बना हुआ है। ग्राम पंचायत सोंधिया में स्थित यह पुल 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनवाया गया था, और अब भी यह तीन प्रमुख कार्यों को एक साथ निभा रहा है।

इस पुल के नीचे किलनहाई नदी बहती है, पुल के बीच से नहर गुजरती है और ऊपर से सड़क बनी हुई है। ब्रिटिश हुकूमत ने इस नहर के माध्यम से मंझनपुर और चायल तहसील के कई क्षेत्रों के किसानों को पानी पहुंचाने की सुविधा दी थी। वर्तमान में यह नहर किशनपुर पम्प कैनाल से संचालित हो रही है।

ब्रिटिश काल में इस पुल के निरीक्षण के लिए नगरेहा में एक कोठी बनाई गई थी, जिसे आज भी निरीक्षण भवन के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि पुल की मजबूती और डिज़ाइन अद्भुत है, और 19वीं सदी से यह बिना किसी रिसाव या बड़े नुकसान के खड़ा है।

स्थानीय लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि इसे संरक्षित रखने और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए ध्यान दिया जाए। पुल न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि ग्रामीण जीवन और कृषि के लिए भी आवश्यक है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटिश इंजीनियरिंग का यह उदाहरण आधुनिक निर्माण के लिए प्रेरणा है। सोंधिया का पुल आज भी तकनीकी दक्षता और टिकाऊ निर्माण का जीवंत प्रमाण है।

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