कानपुर देहात – कानपुर देहात से एक सनसनीखेज खबर सामने आई है। यहाँ एक ऐसे घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें मृतक जय सिंह के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये हड़प लिए गए। इस मामले में प्रधान बृजेन्द्र सिंह यादव, उनका बेटा कपूर सिंह और सचिव की मिलीभगत सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि DPRO विकास पटेल ने भी इस घोटाले में मिलीभगत की, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया है।

मृतक को ‘जिंदा’ दिखाकर करोड़ों की लूट
जानकारी के अनुसार, जय सिंह की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में उसे जिंदा दिखाया गया। इसके आधार पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और सरकारी खजाने से लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए। मौत के 14 महीने बाद भी फर्जी तरीके से 27,660 रुपये निकालने का खुलासा हुआ। इसके अलावा, कपूर सिंह के मोबाइल नंबर का उपयोग करके फर्जी ट्रांसफर किया गया।
शिकायतकर्ता ने किया पर्दाफाश
शिकायतकर्ता नवनीत कुमार ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया। अदालत में शिकायत दर्ज कराई गई, और FIR करवा दी गई। इसके बावजूद DPRO विकास पटेल इस मामले में निष्क्रिय दिखे। इससे यह मामला सरकारी व्यवस्था में मिलीभगत और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
फर्जी दस्तावेज और ट्रांसफर
जांच में यह सामने आया कि फर्जी दस्तावेज और फर्जी ट्रांसफर के माध्यम से जनता के पैसों को लूटा गया। यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि जनता के प्रति विश्वासघात भी है। इस घोटाले में शामिल लोग उच्च पदों का दुरुपयोग करके लाखों रुपये हड़पने में सफल रहे।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने कानपुर देहात की जनता में भारी गुस्सा पैदा कर दिया है। स्थानीय लोग और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ‘भ्रष्टाचार मुर्दाबाद’ का नारा लगा रहे हैं और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यदि तुरंत एक्शन नहीं लिया गया तो आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।
कानूनी प्रक्रिया और FIR
अदालत ने शिकायतकर्ता की तहरीर के आधार पर FIR दर्ज कर ली है। इस FIR में प्रधान बृजेन्द्र सिंह यादव, उनके बेटे कपूर सिंह और सचिव के नाम शामिल हैं। जांच में यह भी पता चला है कि DPRO विकास पटेल की मिलीभगत के कारण यह घोटाला लंबा खिंच गया।
फर्जी खाता और ट्रांसफर का खेल
इस घोटाले की सबसे घिनौनी बात यह है कि मृतक जय सिंह के नाम पर 1 लाख रुपये से अधिक ट्रांसफर किए गए। मृतक के नाम पर फर्जी खाता बनाया गया और लाखों रुपये इस खाता में ट्रांसफर किए गए। यह घटना सरकारी खजाने और सिस्टम की कमजोरी को उजागर करती है।
प्रशासनिक चूक और मिलीभगत
घोटाले के मामले में प्रशासनिक चूक और DPRO की मिलीभगत पर सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों की निष्क्रियता ने फर्जी ट्रांसफर को संभव बनाया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल स्थानीय स्तर का मामला नहीं है बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
जनता की आवाज: तुरंत कार्रवाई की मांग
जनता और सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार से तत्काल CBI जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। लोग चाहते हैं कि प्रधान, बेटा और सचिव को जेल में डालकर न्याय किया जाए। यह मामला यह दर्शाता है कि प्रशासनिक निगरानी और पारदर्शिता की कितनी आवश्यकता है।
भ्रष्टाचार का सामाजिक प्रभाव
ऐसे घोटाले समाज में विश्वास की कमी पैदा करते हैं। मृतक को जिंदा दिखाकर पैसा हड़पना सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं बल्कि नैतिक और सामाजिक अपराध भी है। इससे आम जनता में भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्सा और असंतोष बढ़ता है।
भविष्य के कदम और सुधार
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के मामलों को रोकने के लिए सरकारी खजाने और ट्रांसफर सिस्टम में कड़ी निगरानी, डिजिटल सत्यापन और पारदर्शिता आवश्यक है। DPRO और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करनी होगी। कानपुर देहात का यह घोटाला केवल एक स्थानीय मामला नहीं है, बल्कि यह सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार, प्रशासनिक चूक और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का उदाहरण है। मृतक जय सिंह के नाम पर लाखों रुपये हड़पना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को भी कमजोर करता है। अब जनता और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है कि दोषियों को कठोर सजा दिलाई जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए।