कानपुर देहात: यूपी के कानपुर देहात के छोटे से कस्बे पुखरायां (Kanpur Dehat News) में रहने वाला 16 वर्षीय पार्थ बंसल आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इस नन्हे वैज्ञानिक ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से एक ऐसी छड़ी का आविष्कार किया है, जो पार्किंसंस रोग (न्यूरोलॉजिकल विकार) से जूझ रहे लोगों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। भारत सरकार ने इस अनूठे आविष्कार को 20 साल के लिए पेटेंट प्रदान किया है, जो इस उम्र में एक असाधारण उपलब्धि है। आइए, जानते हैं पार्थ की इस प्रेरणादायक कहानी के बारे में और उनके आविष्कार की खासियत। Kanpur Dehat News
पार्थ का प्रेरणादायक सफर- Kanpur Dehat News
पार्थ बंसल वर्तमान में नोएडा के एक प्रतिष्ठित विद्यालय में इंटरमीडिएट का छात्र है। उनके पिता संदीप बंसल एक व्यापारी हैं, जिन्होंने हमेशा पार्थ की जिज्ञासा और रचनात्मकता को प्रोत्साहित किया। बचपन से ही पार्थ को विज्ञान और तकनीक के प्रति गहरा लगाव रहा है। वह चुम्बक, तार, बल्ब और सेल जैसे सामानों के साथ प्रयोग करने में घंटों बिताया करता था। खिलौनों को खोलना और उनके पुर्जों को समझना उसका पसंदीदा शौक था। लेकिन इस शौक ने तब एक मिशन का रूप ले लिया, जब उसने अपनी दादी सुषमा अग्रवाल को पार्किंसंस रोग से जूझते देखा।

पार्किंसंस रोग एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें मरीज के शरीर में कंपन, मांसपेशियों में अकड़न और चलने-फिरने में असमर्थता जैसी समस्याएं हो जाती हैं। पार्थ अपनी दादी की इस हालत को देखकर बहुत दुखी हुआ। उसने ठान लिया कि वह कुछ ऐसा बनाएगा, जो उनकी जिंदगी को आसान बनाए। यहीं से शुरू हुआ उसकी जादुई छड़ी का सफर। Kanpur Dehat News
जादुई छड़ी का आविष्कार- Kanpur Dehat News
पार्थ ने 2016 में, जब वह केवल 13 साल का था और नौवीं कक्षा में पढ़ता था, इस अनोखी छड़ी का आविष्कार किया। यह छड़ी साधारण नहीं थी। इसमें एलईडी लाइट्स, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग किया गया था, जो पार्किंसंस रोगियों को चलने में सहायता प्रदान करते हैं। इस छड़ी की खासियत यह है कि यह कंपन को नियंत्रित करने में मदद करती है और मरीजों को संतुलन बनाए रखने में सहायता देती है। इसके अलावा, इसमें लगी एलईडी लाइट्स रात के समय या कम रोशनी में भी सुरक्षित चलने में मदद करती हैं।

पार्थ की इस छड़ी ने उनकी दादी की जिंदगी को न केवल आसान बनाया, बल्कि दुनिया भर के पार्किंसंस रोगियों के लिए एक नई उम्मीद जगाई। इस आविष्कार ने पार्थ को रातोंरात सुर्खियों में ला दिया। उनकी इस उपलब्धि को देखते हुए भारत सरकार ने इस छड़ी को पेटेंट प्रदान किया, जो 20 वर्षों तक मान्य रहेगा।
पिता संदीप बंसल ने कहा- गर्व की बात!– Kanpur Dehat News
पार्थ के पिता संदीप बंसल अपने बेटे की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि पार्थ का स्वभाव बेहद सरल और जिज्ञासु है। वह हमेशा कुछ नया सीखने और बनाने की कोशिश में रहता है। संदीप कहते हैं, “पार्थ को बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक सामानों के साथ खेलना पसंद था। वह खिलौनों को खोलकर उनके पुर्जे देखता और फिर कुछ नया बनाने की कोशिश करता। जब उसने अपनी दादी की तकलीफ देखी, तो उसने इस छड़ी को बनाने का फैसला किया। आज उसकी मेहनत रंग लाई है।”
पार्थ की इस उपलब्धि को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है। नवंबर 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट अवार्ड से सम्मानित किया। इसके अलावा, हैदराबाद में उपराष्ट्रपति और पुणे में असम के राज्यपाल द्वारा सूर्यदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार भी उन्हें प्रदान किया गया।
पार्थ की अन्य उपलब्धियां
पार्थ का यह आविष्कार उनकी प्रतिभा का केवल एक हिस्सा है। वह रोबोटिक्स, ऐप डेवलपमेंट और विज्ञान मॉडल्स बनाने में भी गहरी रुचि रखता है। वह अपने स्कूल और अन्य संस्थानों के लिए कई वेबसाइट्स और ऐप्स डिजाइन कर चुका है। उसकी जिज्ञासा और मेहनत ने उसे कम उम्र में ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया है।
पार्थ का सपना है कि वह भविष्य में और ऐसे आविष्कार करे, जो समाज के लिए उपयोगी हों। वह कहता है, “मैं चाहता हूं कि मेरे आविष्कार लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएं। मेरी दादी की खुशी मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है।”
भारत में युवा आविष्कारकों का भविष्य
पार्थ जैसे युवा आविष्कारक भारत के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप और युवा आविष्कारकों को प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त पेटेंट सेवाएं शुरू की हैं। यह पहल न केवल नवाचार को बढ़ावा देगी, बल्कि युवाओं को अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का अवसर भी प्रदान करेगी।
पार्थ की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने की हिम्मत रखता है। उनकी मेहनत, लगन और दादी के प्रति प्रेम ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। यह नन्हा वैज्ञानिक न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।
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