KANPUR DEHAT NEWS: कानपुर देहात में नवजात की मौत पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक की सख्त कार्रवाई, नर्स बर्खास्त, डॉक्टर निलंबित

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कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में एक दिल दहला देने वाली (KANPUR DEHAT NEWS) घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है। अकबरपुर के जिला महिला अस्पताल में प्रसव के दौरान एक नवजात की डस्टबिन में गिरने से मौत हो गई। इस घटना ने न केवल एक परिवार के सपनों को चकनाचूर कर दिया, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और संसाधनों की कमी को भी सामने लाया। “नेशन नाव समाचार” ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी स्टाफ नर्स को बर्खास्त और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया। KANPUR DEHAT NEWS

घटना का विवरण

रूरा क्षेत्र के कारी कलवारी गांव निवासी सुनील कुमार ने अपनी 26 वर्षीय गर्भवती पत्नी सरिता देवी को प्रसव पीड़ा के चलते बुधवार रात करीब 1:30 बजे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। सुबह 3:30 बजे सरिता ने एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन लेबर रूम में स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण नवजात डिलीवरी टेबल से फिसलकर नीचे रखी डस्टबिन में जा गिरा। इस हादसे में नवजात को गंभीर चोटें आईं, विशेष रूप से चेहरे पर, जिसके कारण उसे तत्काल सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (SNCU) में भर्ती किया गया। दुर्भाग्यवश, सुबह 10:30 बजे नवजात ने दम तोड़ दिया। KANPUR DEHAT NEWS

परिजनों का आरोप है कि प्रसव के समय लेबर रूम में न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही स्टाफ नर्स। सरिता की सास ने बताया कि तेज प्रसव पीड़ा के दौरान वह स्टाफ को बुलाने गईं, लेकिन कोई नहीं मिला। इस बीच, सरिता ने अकेले ही बच्चे को जन्म दे दिया, और नवजात की जान लापरवाही की भेंट चढ़ गई। KANPUR DEHAT NEWS

परिजनों का आक्रोश और अस्पताल प्रशासन की उदासीनता

नवजात की मौत की खबर मिलते ही सुनील और उनके परिवार ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। उनका कहना था कि अगर समय पर चिकित्सा सहायता मिलती, तो शायद उनके बच्चे की जान बच सकती थी। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन ने नवजात के शव का जल्दी अंतिम संस्कार करने के लिए उन पर दबाव डाला। लेकिन सुनील ने हार नहीं मानी और लिखित शिकायत दर्ज कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। KANPUR DEHAT NEWS

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शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और अस्पताल प्रशासन इस मामले पर टालमटोल करते रहे। मीडिया में खबरें आने से पहले कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे सरकारी अस्पतालों में बढ़ती लापरवाही और जवाबदेही की कमी साफ झलकती है।

KANPUR DEHAT NEWS- डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का सख्त रुख

जैसे ही यह मामला मीडिया में उजागर हुआ, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने तत्काल एक तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की, जिसमें मामले की गहन जांच की गई। जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि प्रसव के समय स्टाफ नर्स प्रियंका सचान और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर रश्मि पाल लेबर रूम में मौजूद नहीं थे।

जांच समिति की सिफारिश पर स्टाफ नर्स प्रियंका सचान को बर्खास्त कर दिया गया, जबकि डॉ. रश्मि पाल को निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सज्जन लाल वर्मा ने डॉ. रश्मि पाल की सेवाएं समाप्त करने की सिफारिश की। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना सिंह से भी अधीनस्थ स्टाफ पर नियंत्रण न रख पाने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है।

बृजेश पाठक ने कहा, “इस तरह की लापरवाही से न केवल स्वास्थ्य विभाग की छवि धूमिल हुई है, बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली- KANPUR DEHAT NEWS

यह घटना उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और उदाहरण है। स्टाफ की कमी, अपर्याप्त संसाधन, और प्रशासनिक लापरवाही जैसी समस्याएं लंबे समय से चली आ रही हैं। कई सरकारी अस्पतालों में लेबर रूम में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, और कर्मचारियों की अनुपस्थिति मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। KANPUR DEHAT NEWSकानपुर देहात के इस मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि आखिर कब तक मासूम जिंदगियां लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेंगी? सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

आगे की कार्रवाई और उम्मीदें

इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग की महानिदेशक ने उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी को पत्र लिखकर एथिक्स कमेटी से विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की है। जांच एक सप्ताह में पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अस्पतालों में स्टाफ की उपस्थिति और सुविधाओं को बेहतर करने की जरूरत है।

परिजनों को उम्मीद है कि इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी और भविष्य में कोई अन्य परिवार इस तरह के दर्द से नहीं गुजरेगा। सुनील ने कहा, “हमने अपने बच्चे के लिए कई सपने देखे थे, लेकिन एक पल में सब खत्म हो गया। हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले ताकि फिर कोई मासूम की जान न जाए।”

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सोर्स- NBT

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