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कानपुर में अखिलेश दुबे को जेल भिजवाने वाले रवि सतीजा का एक ऑडियो सामने आया है। इसमें अखिलेश दुबे भाजपा नेता को धमकी देते हुए जेल भिजवाने की बात कह रहा है। इतना ही नहीं, रेप केस का भी जिक्र कर रहा है।
akhilesh-dubey-threat अखिलेश दुबे कहता है-
– लड़की का कोर्ट में बयान हो चुका है, अब कुछ हो नहीं सकता। लेकिन, पहचान में चूक की बात कहकर तुम्हें बचा रहे हैं। इसके साथ ही किसी को जेल भिजवाकर काम खत्म करने की बात भी दुबे कर रहा है।
रवि सतीजा से अखिलेश किसी ध्रुव गुप्ता के घर जाने और उसे ढूंढ़कर मामला खत्म कराने को बोल रहा है। रवि सतीजा और अखिलेश दुबे के बीच क्या बात हुई? किस मामले को लेकर दोनों की बात हो रही है?
दुबे के खिलाफ ऑडियो बना मजबूत सबूत
रवि सतीजा ने बताया- यह धमकी भरी कॉल अखिलेश दुबे ने 11 फरवरी, 2025 की दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर की थी। दुबे मेरे खिलाफ झूठा रेप केस दर्ज कराने के बाद मामला सेटल करने का दबाव बना रहा था।
इस वजह से 1 मिनट 47 सेकेंड की इस कॉल रिकॉर्डिंग में मैंने उसकी हर बात पर हां में हां मिलाई। सतीजा ने बताया कि उनके खिलाफ रेप का झूठा मुकदमा दर्ज होने के बाद सामाजिक छवि धूमिल हो रही थी। इसके साथ ही जेल जाने का डर बना था। इस वजह से दुबे की हर बात में हां में हां मिलानी पड़ रही थी। इस ऑडियो को एसआईटी को भी बतौर सबूत सौंप दिया है।
अब जानिए अखिलेश दुबे के बारे में
एक ऐसा वकील, जिसने कभी कोर्ट में नहीं की बहस
अखिलेश दुबे एक ऐसा वकील है, जिसने कभी कोर्ट में खड़े होकर किसी केस में बहस नहीं की। उसके दरबार में खुद की कोर्ट लगती थी और दुबे ही फैसला सुनाता था। वह सिर्फ अपने दफ्तर में बैठकर पुलिस अफसरों के लिए उनकी जांचों की लिखा-पढ़ी करता था। बड़े-बड़े केस की लिखा-पढ़ी दुबे के दफ्तर में होती थी।
इसी का फायदा उठाकर वह लोगों के नाम निकालने और जोड़ने का काम करता था। इसी डर की वजह से बीते 3 दशक से उसकी कानपुर में बादशाहत कायम थी। कोई उससे मोर्चा लेने की स्थिति में नहीं था।
काले कारनामों को छिपाने के लिए शुरू किया था न्यूज चैनल
अखिलेश दुबे ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सबसे पहले एक न्यूज चैनल शुरू किया था। इसके बाद वकीलों का सिंडीकेट बनाया। फिर इसमें कई पुलिस अफसरों को शामिल किया। कानपुर में स्कूल, गेस्ट हाउस, शॉपिंग मॉल और जमीनों के कारोबार में बड़े-बड़े बिल्डर उसके साथ जुड़ते चले गए।
दुबे का सिंडीकेट इतना मजबूत था कि उसकी बिल्डिंग पर केडीए से लेकर कोई भी विभाग आपत्ति नहीं करता था। कमिश्नर का दफ्तर हो या डीएम ऑफिस, केडीए, नगर निगम और पुलिस महकमे से लेकर हर विभाग में उसका मजबूत सिंडीकेट फैला था। उसके एक आदेश पर बड़े से बड़ा काम हो जाता था।
मेरठ से भागकर आया था कानपुर
अखिलेश दुबे मूलरूप से कन्नौज के गुरसहायगंज का रहने वाला है। उसके पिता सेंट्रल एक्साइज में कॉन्स्टेबल थे। मेरठ में तैनात थे। वहां रहने के दौरान अखिलेश दुबे की सुनील भाटी गैंग से भिड़ंत हो गई। इसके बाद वह भागकर कानपुर आ गया।
बात 1985 की है। अखिलेश दुबे किदवई नगर में किराए का कमरा लेकर रहने लगा। दीप सिनेमा के बाहर साइकिल स्टैंड चलाता था। इस दौरान मादक पदार्थ तस्कर मिश्री जायसवाल की पुड़िया (मादक पदार्थ) बेचने लगा। धीरे-धीरे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो गया।