कन्नौज :- कन्नौज जिले के छिबरामऊ क्षेत्र में डिलीवरी के दौरान महिला की मौत ने स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस दर्दनाक घटना के बाद पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लेकर अस्पताल पहुँचा, लेकिन उनका सामना प्रशासन के अनुचित व्यवहार से हुआ।मौके पर पहुंचे छिबरामऊ कोतवाल ने परिजनों से कहा, “एक मिनट में निकल जाएगी गर्मी।” यह कथन न केवल अनुचित था, बल्कि पीड़ित परिवार के लिए मानसिक दबाव का कारण बन गया। इस बयान ने आसपास के लोगों में भी आक्रोश पैदा किया और प्रशासनिक रवैये पर सवाल खड़े किए।
घटना की जानकारी के अनुसार, मृतक महिला की डिलीवरी के दौरान उसकी स्थिति गंभीर थी। परिजन अस्पताल की उचित देखभाल की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अस्पताल का रवैया निराशाजनक और असंवेदनशील था। ऐसे में परिजन प्रशासन की ओर मदद के लिए पहुँचे, लेकिन पुलिस अधिकारियों का व्यवहार उन्हें और अधिक असुरक्षित महसूस करवा रहा था।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गरीब और कमजोर वर्ग के मामलों में पुलिस कभी-कभी संवेदनहीन रवैया अपनाती है, जबकि अमीर और रसूखदारों के सामने कार्रवाई पूरी तरह अलग होती है। इस घटना ने प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
परिवार ने स्पष्ट रूप से न्याय की मांग की है और प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए। सोशल मीडिया पर भी यह घटना व्यापक चर्चा का विषय बनी हुई है। लोग प्रशासन और अस्पताल की जवाबदेही पर सवाल उठा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि गरीब और असहाय लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाए।
अधिकारियों ने कहा कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं और मृतक परिवार को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके बावजूद जनता में यह चिंता बनी हुई है कि क्या गरीब और कमजोर वर्ग के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।इस घटना ने स्वास्थ्य और पुलिस प्रशासन में जवाबदेही की कमी को उजागर किया है। नियम और कानून होने के बावजूद प्रशासनिक कर्मियों का संवेदनशील और उचित व्यवहार आवश्यक है। यदि अधिकारी संवेदनशीलता और जवाबदेही दिखाएं, तो ऐसे दुखद मामलों में कम से कम पीड़ितों को मानसिक सहारा मिल सकता है।सोशल मीडिया और जनसंचार माध्यमों पर लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं। जनहित में लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।कुल मिलाकर, कन्नौज में डिलीवरी के दौरान महिला की मौत और उसके बाद छिबरामऊ कोतवाल द्वारा परिजनों को धमकाने की घटना प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं की संवेदनहीनता को उजागर करती है। अब सभी की निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई और न्याय प्रक्रिया पर टिकी हैं।