Hamirpur School Without Building: हमीरपुर में बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़, बिना भवन के चल रहा प्राथमिक विद्यालय

Hamirpur School Without Building

Hamirpur School Without Building: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। राज्य और केंद्र सरकार भले ही “सब पढ़ें, सब बढ़ें” और “डिजिटल इंडिया” जैसे अभियान चला रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है।

विकास खंड मुस्करा के पहाड़ी भिटारी गांव का प्राथमिक विद्यालय सरकार की शिक्षा नीति पर एक गहरा सवाल खड़ा करता है। यहां वर्ष 2024 की शुरुआत में भवन को जर्जर घोषित कर ढहा दिया गया, लेकिन उसके बाद न तो नया भवन बना और न ही बच्चों को पढ़ाई के लिए कोई वैकल्पिक स्थान मिला।

आज भी दर्जनों बच्चे गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं।

20 फीसदी स्कूलों के पास नहीं है अपना भवन– Hamirpur School Without Building

हमीरपुर जनपद के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जिले के लगभग 20 प्रतिशत प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां बच्चों के लिए पढ़ने की इमारत ही नहीं है। कहीं किचन को ऑफिस बना दिया गया है, तो कहीं स्टोररूम में मिड-डे मील पकाया जा रहा है।

यह बदहाली शिक्षा के उस स्तर को दर्शाती है जहां न तो बच्चे सुरक्षित हैं और न ही शिक्षक। अभिभावकों का कहना है कि सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। Hamirpur School Without Building

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बरसात में झाड़ियों और विषैले जीवों का डर – Hamirpur School Without Building

गांव में स्थित विद्यालय भवन के स्थान पर अब केवल टूटी हुई दीवारें और झाड़ियां हैं। बरसात के मौसम में सांप, बिच्छू और अन्य विषैले जीवों का खतरा बच्चों की जान पर बना रहता है। न तो बैठने की उचित व्यवस्था है और न ही छत की सुरक्षा।

Hamirpur School Without Building

प्रधानाध्यापक सुविधा, सहायक अध्यापक मूलचंद, और ग्रामीण पुष्पेंद्र ने इस हालात पर चिंता जताई और बताया कि वे कई बार विभाग से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। Hamirpur School Without Building

बेसिक शिक्षा अधिकारी का जवाब– Hamirpur School Without Building

हमीरपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी आलोक सिंह ने कहा कि मामला संज्ञान में है और शीघ्र ही विद्यालय के भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि जब जनवरी 2024 में भवन तोड़ा गया था, तब से अब तक छह महीने क्यों बीत गए?

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बच्चों का भविष्य खतरे में

विद्यालय की इस बदहाली के कारण बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हो ही रही है, साथ ही उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खतरे में है। शिक्षा विभाग की यह लापरवाही भविष्य में इन बच्चों के जीवन को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है।

यदि अब भी सरकार और विभाग ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो यह सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी के भविष्य से धोखा होगा।

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