पवन सिंह परिहार रिपोर्ट
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश), बुंदेलखंड – नाग पंचमी को लेकर देशभर में जहां नाग देवता की पूजा की जाती है, वहीं बुंदेलखंड में इस पर्व की एक अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां नाग पंचमी के दिन गुड़िया बनाकर उसे पीटने की परंपरा निभाई जाती है, जो स्थानीय आस्था, परंपरा और लोक-संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।
क्या है यह परंपरा? बुंदेलखंड की अनोखी नाग पंचमी परंपरा
हमीरपुर जिले के मेरापुर गांव स्थित सिंह महेश्वर मंदिर घाट पर हर साल नाग पंचमी के दिन बच्चे, युवा और बुजुर्ग एकत्रित होते हैं। वे पुराने कपड़ों से मानवाकार गुड़िया बनाते हैं और उसे यमुना नदी में बहाते हैं। इसके बाद उसे नीम की डंडियों से जोर-जोर से पीटा जाता है।
इसके पीछे की मान्यता बुंदेलखंड की अनोखी नाग पंचमी परंपरा
स्थानीय मान्यता है कि इस प्रतीकात्मक क्रिया से बुरी आत्माएं, बीमारियां और आपदाएं दूर होती हैं। यह राक्षसी प्रवृत्तियों के नाश और समाज में शुभता के प्रवेश का प्रतीक माना जाता है।
“यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बच्चों के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव है जो उन्हें परंपरा से जोड़ता है,” – एक बुजुर्ग श्रद्धालु की प्रतिक्रिया।
पीढ़ियों से चलती आ रही परंपरा बुंदेलखंड की अनोखी नाग पंचमी परंपरा
यह परंपरा बुंदेलखंड के कई जिलों में वर्षों से चली आ रही है। समय बदला, लेकिन यह आस्था आज भी उतनी ही मजबूत है। अब यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि सामूहिक उल्लास और उत्सव का रूप ले चुकी है।
प्रशासन और स्थानीय समाज की भूमिका बुंदेलखंड की अनोखी नाग पंचमी परंपरा
हर साल इस आयोजन में स्थानीय प्रशासन और पुलिस की उपस्थिति भी रहती है ताकि यह आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। बच्चों के साथ आए अभिभावक भी इस परंपरा का आनंद लेते हैं।