संवाददाता – प्रमोद शर्मा
Kanwar Yatra Bareilly: श्रावण मास का आगाज होते ही बरेली के फरीदपुर और आसपास के इलाकों में आस्था, भक्ति और समर्पण का अनूठा संगम बन गया है। सुबह की पहली किरण के साथ ही “बम-बम भोले” और “हर-हर महादेव” के जयघोष से समूचा वातावरण गूंज उठता है। मंदिरों के घंट-घड़ियाल, ढोल-नगाड़े और शिवभक्तों की टोलियों की हर दिशा में उपस्थिति ने माहौल को पूरी तरह शिवमय बना दिया।

बीते रविवार की बात करें तो शाम के समय मोहल्ला परा स्थित साईं बाबा मंदिर से महंत राहुल पाठक के नेतृत्व में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हुआ। जत्था रामगंगा के कछला घाट पहुंचा, जहां से भक्तों ने पवित्र गंगाजल भरकर सोमवार भोर में वापसी की और सिमरा बोरीपुर के गोपाल सिद्ध मंदिर, पहलऊ शिव मंदिर व पचौमी पंचेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया।

🙏 भक्ति, अनुशासन और सेवा का संगम- Kanwar Yatra Bareilly
इस कांवड़ यात्रा में गौरव पांडे, अभिषेक, हर्षित, श्याम वंश, अनुराग पाठक, नितिन, विकास समेत दर्जनों युवाओं ने भाग लिया। इन शिवभक्तों के चेहरों पर तप और श्रद्धा की झलक स्पष्ट दिख रही थी। कांवड़ यात्रा महज एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजन बन गई जिसमें युवा वर्ग की ऊर्जा, अनुशासन और आस्था झलक रही थी।
👮 प्रशासन अलर्ट, सुरक्षा रही चाकचौबंद- Kanwar Yatra Bareilly
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और बढ़ते जनसैलाब को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह सक्रिय रहा। फरीदपुर सीओ संदीप सिंह स्वयं क्षेत्र में निरीक्षण करते नजर आए। कोतवाली प्रभारी राधेश्याम ने अपनी टीम के साथ विभिन्न मंदिरों और मार्गों पर निगरानी रखी। किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए स्वयंसेवी संगठनों ने भी श्रद्धालुओं की सेवा में भरपूर योगदान दिया।
🛕 शिवमंदिरों में उमड़ा जनसैलाब- Kanwar Yatra Bareilly
नगर के प्रमुख शिवालयों—शिव मंदिर, महादेव मंदिर, मौनी महादेव मंदिर और पचौमी मंदिर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पहलऊ नाथ और बाबा भोलेनाथ मंदिरों पर भी सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने बिल्वपत्र, धतूरा, गंगाजल और भांग अर्पित कर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
🌸 समाजिक समरसता का प्रतीक
श्रावण सोमवार की यह पावन शुरुआत केवल भक्ति का स्वरूप नहीं थी, बल्कि यह भारतीय समाज में समरसता, संयम और सेवा का आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही थी। युवा कांवड़ियों की भक्ति, प्रशासन का अनुशासन और समाज की सहभागिता ने फरीदपुर को श्रद्धा और प्रबंधन का उत्कृष्ट केंद्र बना दिया।