बरेली: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित प्रसिद्ध अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान (BIRD FLU CONFIRMED) में हाल ही में हुई शेरों की मौत के पीछे बर्ड फ्लू H5N1 वायरस की पुष्टि हुई है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है. जिसके बाद राज्य सरकार ने गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर के तीन प्रमुख चिड़ियाघरों को एहतियातन बंद करने का आदेश जारी किया है. BIRD FLU CONFIRMED
बरेली में हुई H5N1 वायरस की पुष्टि- BIRD FLU CONFIRMED
IVRI के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अभिजीत पावड़े ने बताया कि मृत शेरों के नमूनों में एवियन इंफ्लूएंजा वायरस (H5N1) की पुष्टि हुई है. यह वायरस मुख्य रूप से पक्षियों को संक्रमित करता है, लेकिन हाल के वर्षों में स्तनधारियों में भी इसके संक्रमण के दुर्लभ मामले सामने आए हैं. इसके बाद भोपाल स्थित उच्च सुरक्षा पशुरोग प्रयोगशाला (HSADL) में भी नमूनों की पुनः पुष्टि की गई.
पशुपालन विभाग ने तीन चिड़ियाघरों को किया बंद- BIRD FLU CONFIRMED
राज्य पशुपालन विभाग ने रिपोर्ट आने के बाद तुरंत प्रभाव से संक्रमण रोकने के लिए तीन (गोरखपुर, लखनऊ और कानपुर) चिड़ियाघरों को बंद कर पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. साथ ही चिड़ियाघरों में जैव-सुरक्षा को बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं. डॉ. पावड़े ने बताया कि सभी चिड़ियाघर कर्मचारियों और पशु चिकित्सकों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (PPE) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है. BIRD FLU CONFIRMED
संपर्क में आए अन्य जानवरों की निगरानी बढ़ी
उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है. मृत शेरों के संपर्क में आए अन्य जानवरों और कर्मचारियों की स्वास्थ्य निगरानी बढ़ा दी गई है. उन्होंने आश्वासन दिया कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि अन्य जानवरों और कर्मचारियों की जान को कोई खतरा न हो.
बर्डफ्लू से अन्य जानवरों में खतरा
इस गंभीर घटना ने न केवल पशुप्रेमियों को बल्कि आम जनता को भी चिंता में डाल दिया है. विशेषज्ञों ने बताया कि इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरी सतर्कता जरूरी है और अफवाहों से बचना चाहिए. उन्होंने आम लोगों से अपील की है कि वे सरकारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें और संक्रमण को फैलने से रोकने में सहयोग करें.
चिड़ियाघर बंद रहने के कारण पर्यटकों और स्थानीय व्यापारियों को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है. वन विभाग और पशुपालन विभाग मिलकर इस संकट का सामना कर रहे हैं और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रहे हैं.
इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि जैव-सुरक्षा उपायों को और भी कड़ा करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह के खतरों से बचा जा सके. विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित जांच और समय पर सतर्कता ही ऐसे खतरनाक वायरस के प्रसार को रोकने में मददगार साबित होगी.
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