संवाददाता: प्रमोद शर्मा
Bareilly village roads crisis: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की तहसील सदर अंतर्गत ग्राम पंचायत क्यारा के गांव मँझा और पीपल गौटिया के हालात किसी आपदा क्षेत्र से कम नहीं हैं। यहाँ की सड़कों पर कीचड़ और गंदगी की भरमार है, जिससे होकर नन्हे बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं रोज़ाना गुज़रने को मजबूर हैं। विकास के नाम पर वर्षों से झूठे वादों और फाइलों में सड़ा पड़ा सिस्टम, अब लोगों के सब्र की सीमा को तोड़ चुका है।
🔴बरेली के गांव मंझा और पीपल गौटिया में कीचड़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त
— NATION NOW समाचार (@nnstvlive) July 5, 2025
🔸 स्कूल गेट तक बना दलदल, गिरते बच्चों की रोज़ाना तस्वीरें चिंताजनक
🔸 ग्राम प्रधान: "पैसा नहीं", BDO: "जगह नहीं", SDM: "बात करिए" – समाधान शून्य
🔸 ग्रामीणों ने जताया आक्रोश, कहा – इस बार वोट नहीं देंगे!
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स्कूल बना दलदल का द्वार
सबसे शर्मनाक तस्वीर गांव के प्राथमिक विद्यालय के बाहर देखने को मिलती है। स्कूल गेट के सामने गंदा पानी और दलदल का अंबार बच्चों के भविष्य को कीचड़ में घसीट रहा है। यहां पढ़ने वाले मासूम छात्र-छात्राएं हर रोज इसी दलदल से होकर स्कूल आते हैं। शिक्षक भी इसी नरकीय रास्ते से होकर आते हैं, जिससे उनकी ड्यूटी करना एक चुनौती बन गया है।

न नाली, न निकासी – बस जलजमाव और बदबू
गांववासियों – रामसिंह, विनोद सिंह गुर्जर, झंडू सिंह, केशराम सिंह, सुखपाल आर्य समेत दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के दोनों ओर नालियों का अभाव और जलनिकासी की कोई योजना न होने के कारण बरसात का पानी, घरों का गंदा पानी और सीवर मिलकर पूरे गांव को दलदल में बदल देते हैं। हालत ये हो गई है कि माँ काली और शनिदेव मंदिर तक में गंदा पानी भर चुका है, पूजा-पाठ तक रुक गया है।

चुनाव से पहले ‘मिट्टी’ का दिखावा
ग्रामीणों का आरोप है कि लोकसभा चुनाव से पहले सिर्फ दिखावे के लिए मिट्टी डलवाई गई थी, लेकिन बारिश की पहली बौछार में सब बह गया। आज फिर वहीं हालात हैं – हर गली में कीचड़, हर घर में बदबू, हर कोने में मच्छरों का आतंक और बीमारी का डर।

प्रशासनिक जवाबदेही: बयानबाज़ी और जिम्मेदारी से पल्ला
जब इस मसले पर एसडीएम सदर बरेली से बात की गई, तो उन्होंने सारा मामला बीडीओ और डीपीआरओ पर डालते हुए खुद को जिम्मेदारी से अलग कर लिया।
बीडीओ क्यारा – ओमप्रकाश का कहना है कि,
“जैसे ही जगह मिलेगी, पानी निकासी करा देंगे।”
यानी फिलहाल कोई योजना नहीं।
ग्राम प्रधान कृष्णपाल सिंह ने फंड की कमी की बात कही और जुलाई तक फंड आने की उम्मीद जताई।
ग्रामीणों की चेतावनी: चुनाव बहिष्कार तक की तैयारी
गांव के लोग अब सिस्टम से पूरी तरह नाराज़ हैं। वे ग्राम प्रधान से लेकर विधानसभा चुनाव तक बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि
“जब हमें इंसान नहीं समझा गया, तो हम नेताओं को वोट क्यों दें?”
महामारी की आशंका
गांवों में सड़ी गंदगी और मच्छरों का आतंक इस हद तक बढ़ चुका है कि महामारी का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का जीवन, बच्चों की शिक्षा, धार्मिक स्थल – सब कुछ कीचड़ में डूब गया है और प्रशासन आँखें मूंदे बैठा है।