संवाददाता – प्रमोद शर्मा
Bareilly Shiv Shobhayatra: श्रावण मास का आगमन होते ही देशभर में धार्मिक आयोजन आरंभ हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद अंतर्गत ग्राम सैदापुर में मंगलवार को श्रद्धा, उत्साह और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। नवनिर्मित शिवनाथ मंदिर से भगवान शिव परिवार की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो पूरे क्षेत्र को भक्ति के रंग में रंग गई।

शोभायात्रा बनी आस्था और एकता का प्रतीक– Bareilly Shiv Shobhayatra
मंगलवार दोपहर 12 बजे महंत जगदीश गिरी के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक विधियों के साथ शिव परिवार की प्रतिमाएं एक सुसज्जित थ्री-व्हीलर वाहन पर विराजमान की गईं। शोभायात्रा की शुरुआत ग्राम पचौमी स्थित विष्णु मंदिर से हुई और यह फुलवा गांव के प्राचीन शिव मंदिर व मां काली मंदिर होते हुए सैदापुर लौट आई। Bareilly Shiv Shobhayatra
इस दौरान मार्ग में जगह-जगह भक्तों ने पुष्पवर्षा की, पूजा-अर्चना की और प्रसाद वितरण किया। शोभायात्रा में सबसे आगे शिव-पार्वती की जीवंत झांकी रही, जो विशेष आकर्षण का केंद्र बनी। डीजे पर बजते भजनों और श्रद्धालुओं के भक्ति-नृत्य से माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक हो गया। Bareilly Shiv Shobhayatra
सैकड़ों भक्तों की भागीदारी ने बढ़ाया आयोजन का गौरव– Bareilly Shiv Shobhayatra
ग्रामीणों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली से शोभायात्रा में हिस्सा लिया। बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी पूरे उत्साह के साथ भक्ति में डूबे नजर आए। शाम 6 बजे जैसे ही शोभायात्रा वापस शिवनाथ मंदिर पहुंची, पूरे परिसर में ‘हर हर महादेव’ और ‘जय शिव शंकर’ के जयघोष गूंज उठे।
प्रतिमाएं गर्भगृह में स्थापित, बुधवार को होगा विशाल भंडारा– Bareilly Shiv Shobhayatra
शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाओं को विधिपूर्वक मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर पूजा की और समाज कल्याण की कामना के साथ दान-पुण्य किया।
महंत जगदीश गिरी ने बताया कि बुधवार शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक विशाल भंडारा आयोजित होगा, जिसमें सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा। उन्होंने अधिक से अधिक श्रद्धालुओं से इसमें भाग लेने की अपील की।
धार्मिक समर्पण और संस्कृति का जीवंत उदाहरण– Bareilly Shiv Shobhayatra
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि ग्रामीण एकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का उदाहरण भी बन गया है। श्रावण मास की इस शुरुआत ने श्रद्धा की ऐसी मिसाल कायम की है, जो वर्षों तक स्मरणीय रहेगी।