Bareilly Ramleela Ground: बरेली जिले के फरीदपुर क्षेत्र में स्थित प्राचीन श्री रामलीला मैदान न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का भी केंद्र रहा है। बीते दो सौ वर्षों से यह मैदान हर वर्ष रामायण के अद्भुत मंचन का गवाह बनता आया है। लेकिन वर्तमान में यह भूमि नाले के निर्माण, जलभराव, प्रशासनिक उपेक्षा और अतिक्रमण की समस्या से जूझ रही है।
क्या यह कल्पना भी विचलित नहीं करती कि जहां कभी श्रीराम और रावण के युद्ध का मंचन होता था, वहां अब कीचड़ और बदबू फैली है? क्या इस आस्था स्थल की कीमत इतनी कम हो गई है कि उसे विकास के नाम पर मिटा दिया जाए? Bareilly Ramleela Ground

🧱 तीन एकड़ की जमीन या आस्था का गढ़?– Bareilly Ramleela Ground
श्रीरामलीला मैदान केवल एक भूखंड नहीं, हजारों लोगों की भावनाओं और परंपराओं का जीवित प्रतीक है। यहां रामलीला सिर्फ नाटक नहीं, एक जीवन दर्शन बनकर प्रस्तुत होती है। यह वह स्थल है जहां धार्मिकता, कला और लोक परंपराएं एक साथ जीवित होती हैं। लेकिन अफसोस, आज वह अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
https://t.co/wYKTZ5NAon pic.twitter.com/FLZzgqMc8y
— NATION NOW समाचार (@nnstvlive) July 10, 2025
⚠️ नाले का निर्माण या सांस्कृतिक हत्या?– Bareilly Ramleela Ground
स्थानीय समिति का आरोप है कि ग्राम पंचायत और निर्माण एजेंसी ने बिना सांस्कृतिक और सामाजिक अध्ययन के नाले का निर्माण प्रारंभ कर दिया। अवैध अतिक्रमण और जलनिकासी की अव्यवस्था ने पूरे मैदान को कीचड़ का ढेर बना दिया है। यदि यह कार्य बिना विवेक के जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में रामलीला का मंचन असंभव हो जाएगा।
📩 प्रशासन को चेतावनी या पुकार?
समिति द्वारा जिलाधिकारी को भेजा गया पत्र केवल सूचना नहीं, एक चेतावनी और सामाजिक पुकार है। यह मैदान बरेली की पहचान का प्रतीक है, और उसकी उपेक्षा केवल एक स्थल की उपेक्षा नहीं, बल्कि संस्कृति की अनदेखी है।
🏗️ योजनागत विफलता और प्रशासनिक असंवेदनशीलता– Bareilly Ramleela Ground
यदि कोई निर्माण योजना किसी भी क्षेत्र में हो रही है, तो यह आवश्यक है कि उसमें उस क्षेत्र की सांस्कृतिक महत्ता का भी मूल्यांकन किया जाए। दुर्भाग्यवश, यहां ऐसा नहीं हुआ। यह दर्शाता है कि योजनाओं में धरातल की समझ की कमी है और जनता की भावनाओं की कद्र नहीं की जा रही।
🛑 आज रामलीला मैदान, कल कोई मंदिर या गुरुद्वारा?– Bareilly Ramleela Ground
यदि रामलीला मैदान पर अतिक्रमण हो सकता है, तो कोई मंदिर, मस्जिद, मजार या गिरजाघर भी सुरक्षित नहीं रहेगा। यही समय है जब समाज को जागना चाहिए और प्रशासन को भी यह समझना चाहिए कि धरोहरों को सिर्फ भूमि नहीं, भावनाओं का प्रतीक मानकर ही योजनाएं बनाई जानी चाहिए। Bareilly Ramleela Ground
📢 समाधान की मांग: सीमांकन, सौंदर्यीकरण और संरक्षण
समिति और स्थानीय लोगों की मांग है कि—
- मैदान का पुनः सीमांकन किया जाए
- नाले की दिशा बदली जाए
- सौंदर्यीकरण और समतलीकरण की कार्यवाही हो
- जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि स्वयं निरीक्षण करें
- निर्माण एजेंसियों की जिम्मेदारी तय हो
यह केवल मांग नहीं, संस्कृति को बचाने का आह्वान है।
Hamirpur heavy rain: हमीरपुर में भीषण बारिश का कहर, गांव में भरा पानी, 4 घर जमींदोज
Tree Plantation Pilibhit: पीलीभीत में पुलिस ने 3000 पौधे लगाकर दिया हरियाली का संदेश
Running in rain benefits: बारिश में दौड़ना सही या गलत? जानिए इसके फायदे, रिसर्च और सेफ्टी टिप्स