बरेली | प्रमोद शर्मा
Bareilly Illegal land encroachment: उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद की फरीदपुर तहसील स्थित ग्राम गौसगंज सराय में सरकारी भूमि पर हो रहे अवैध कब्ज़े का मामला अब प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रतीक बन गया है। ग्राम प्रधान यासीन खाँ द्वारा लगभग 10 महीने पूर्व की गई स्पष्ट शिकायत आज भी केवल फाइलों में सजी धरी है, जबकि सरकारी ज़मीन पर अवैध निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ चुका है। Bareilly Illegal land encroachment
📌 ब्रेकिंग बरेली
— NATION NOW समाचार (@nnstvlive) July 10, 2025
फरीदपुर की सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा, 10 माह से प्रशासन मौन!
🔴 ग्राम प्रधान की शिकायत पर भी नहीं हुई ठोस कार्रवाई
🔴 कॉलोनाइज़र का अड़ियल रुख, प्रशासन को खुलेआम दी चेतावनी
🔴 SDM का जवाब—”पैमाइश का आदेश दे दिया गया है”
🔴 अवैध कब्ज़ा बरकरार, प्रशासनिक सुस्ती… pic.twitter.com/PskZmWLVJ4
🧾 तहसील समाधान दिवस में उठी थी आवाज– Bareilly Illegal land encroachment
ग्राम प्रधान ने यह मामला तहसील समाधान दिवस में गंभीरता से उठाया था। तत्कालीन तहसीलदार द्वारा निर्माण कार्य रुकवाया गया और कागज़ी कार्यवाही भी की गई। लेकिन इसके बाद की कहानी प्रशासन की विलंबशीलता और टालमटोल का उदाहरण बनकर रह गई।

📉 10 महीने में सिर्फ “पैमाइश का आदेश” Bareilly Illegal land encroachment
यह विडंबना ही है कि 10 महीनों में कार्यवाही के नाम पर प्रशासन ने केवल यह कहने तक खुद को सीमित रखा कि “पैमाइश का आदेश दे दिया गया है“। न पैमाइश हुई, न ज़मीन मुक्त हुई और न ही दोषियों पर कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई। यह लचर रवैया प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। Bareilly Illegal land encroachment


🧱 कॉलोनाइज़र का अड़ियल जवाब और चेतावनी– Bareilly Illegal land encroachment
जब प्रशासन ने कब्जेदार कॉलोनाइज़र को नोटिस भेजा तो उन्होंने न केवल उल्टा जवाब भेजा बल्कि प्रशासन को छवि खराब करने की चेतावनी भी दे डाली। कॉलोनाइज़र का यह रुख बताता है कि उन्हें प्रशासनिक कार्रवाई का कोई भय नहीं है।
उनका तर्क था कि यदि जमीन वाकई सरकारी है तो पहले उसकी पुख्ता पैमाइश करवाई जाए, फिर कार्यवाही हो। लेकिन प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता ने इस तर्क को और भी साहसिक बना दिया।
⚠️ प्रशासन की भूमिका पर उठते सवाल– Bareilly Illegal land encroachment
जब शिकायतकर्ता स्वयं निर्वाचित ग्राम प्रधान हों, तो उनकी शिकायत को महीनों तक लटकाना एक गहरा संदेह पैदा करता है। क्या तहसील प्रशासन किसी राजनीतिक या आर्थिक दबाव में है? या फिर कहीं भूमाफियाओं से अंदरूनी सांठगांठ तो नहीं?
📣 SDM का एक ही उत्तर: “पैमाइश का आदेश दिया गया है”
फरीदपुर की एसडीएम मल्लिका नयन से जब पत्रकारों ने लगातार इस विषय में जानकारी चाही, तो उनका उत्तर बार-बार यही रहा — “हमने पैमाइश का आदेश दे दिया है।” लेकिन यह आदेश एक माह पहले का है, जबकि आज तक कोई सर्वे या कार्रवाई नहीं हुई। Bareilly Illegal land encroachment
🚨 क्या चल रहा है फरीदपुर में ज़मीन के नाम पर कोई ‘खेल’?
यह सवाल अब केवल पत्रकारिता का नहीं, जनचेतना का प्रश्न बन चुका है। जब अवैध कब्ज़े का मामला स्पष्ट हो, शिकायतकर्ता की पहचान निर्वाचित प्रतिनिधि हो, और फिर भी प्रशासन चुप्पी साधे बैठे, तो यह स्थिति संविधानिक व्यवस्था के मूलभूत सिद्धांतों पर ही सवाल बन जाती है।
✅ जनता की मांग: निष्पक्ष जांच और कार्रवाई
अब जनता को चाहिए—
पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सार्वजनिक हो
तत्काल पैमाइश कर वास्तविक स्थिति उजागर की जाए
कब्जेदारों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाए
दोषी अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए