Bareilly Illegal Encroachment: बरेली में भू-माफियाओं का दुस्साहस: प्रशासन की चुप्पी, कोर्ट के आदेश बेकार

Bareilly Illegal Encroachment

Bareilly Illegal Encroachment: बरेली जनपद की तहसील फरीदपुर के खजुआ में एक तालाब की सरकारी जमीन पर अवैध कॉलोनी का निर्माण न केवल कानून का मखौल उड़ाता है, बल्कि प्रशासन की नाकामी को भी उजागर करता है। यह कोई नया मामला नहीं है। सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं का कब्जा और अवैध निर्माण लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। लेकिन जब कोर्ट के आदेश भी कागजी शेर बनकर रह जाएं और प्रशासन नोटिस जारी करने तक सीमित हो, तो सवाल उठता है—क्या यह सिर्फ लापरवाही है या भू-माफियाओं के साथ मिलीभगत का खेल?

खजुआ तालाब: कानून की धज्जियां उड़ाता अवैध निर्माण- Bareilly Illegal Encroachment

खजुआ में तालाब की भूमि पर कॉलोनाइज़र ने न केवल प्लॉट काटे, बल्कि पूरी कॉलोनी खड़ी कर दी। हैरानी की बात यह है कि नगर पालिका ने इस कॉलोनी के नक्शे को पहले ही अस्वीकृत कर दिया था। स्थानीय लोगों ने शिकायतें कीं, मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, और कोर्ट ने भी इस निर्माण को गैरकानूनी ठहराया। फिर भी, निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। कोर्ट के फैसले का कोई असर नहीं हुआ, और प्रशासन की ओर से बार-बार जारी होने वाले नोटिस केवल औपचारिकता बनकर रह गए हैं। Bareilly Illegal Encroachment

स्थानीय निवासियों का कहना है कि नोटिस तो दिए जाते हैं, लेकिन न तो निर्माण रुकता है और न ही कोई ठोस कार्रवाई होती है। क्या यह प्रशासन की असहायता है, या फिर भू-माफियाओं को खुली छूट दी जा रही है? सवाल यह भी है कि नक्शा संशोधन की प्रक्रिया को जानबूझकर लटकाया जा रहा है ताकि कॉलोनाइज़रों को और समय मिल सके। Bareilly Illegal Encroachment

सेंट मारिया स्कूल के पीछे का विवाद- Bareilly Illegal Encroachment

यह अकेला मामला नहीं है। सेंट मारिया स्कूल के पीछे की सरकारी जमीन पर भी पहले अवैध कब्जा हुआ था। प्रशासन ने उसे ध्वस्त किया, लेकिन कुछ ही समय बाद वहां दोबारा निर्माण शुरू हो गया। तत्कालीन एसडीएम पारुल तरार ने नोटिस जारी किए, लेकिन नगर पालिका ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यह साफ दर्शाता है कि प्रशासनिक आदेश अब केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं।

गौसगंज सराय में बंजर भूमि पर कब्जा- Bareilly Illegal Encroachment

गौसगंज सराय में बंजर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और बाउंड्री वॉल का निर्माण भी चर्चा में है। ग्राम प्रधान यासीन ने इसकी शिकायत की, समाधान दिवस में मामला दर्ज हुआ, लेकिन नतीजा वही—न जमीन की पैमाइश हुई, न अतिक्रमण हटा। राजस्व विभाग और नगर पालिका की चुप्पी सवालों को जन्म देती है। क्या प्रशासनिक अधिकारियों के कुछ हाथ भू-माफियाओं की जेबों तक पहुंच गए हैं?

प्रशासन की निष्क्रियता या मिलीभगत?- Bareilly Illegal Encroachment

इन सभी मामलों में एक बात स्पष्ट है—प्रशासन की निष्क्रियता। अगर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होता, नोटिस बेअसर रहते हैं, और अवैध निर्माण बेरोकटोक जारी रहता है, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि प्रशासन जनता के प्रति जवाबदेह है या भू-माफियाओं के प्रति वफादार।

स्थानीय लोग बताते हैं कि भू-माफिया न केवल सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, बल्कि तालाबों और बंजर भूमि को भी निशाना बना रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि जनता की संपत्ति पर डाका भी है। अगर सरकारी जमीनें सुरक्षित नहीं रहेंगी, तो लोकतंत्र का आधार कमजोर होगा।

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