Bareilly BJP controversy: भाजपा युवा मोर्चा में अनुशासन की दरार, वायरल ऑडियो से खुली सत्ता-प्रशासन की साजिश, जिम्मेदार चुप

Bareilly BJP controversy

Bareilly BJP controversy: भारतीय जनता पार्टी को हमेशा उसकी संगठित कार्यप्रणाली, अनुशासन और भ्रष्टाचार विरोधी छवि के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन बरेली जिले के फरीदपुर में युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष प्रदीप यादव से जुड़ा एक मामला इन तमाम दावों पर सवालिया निशान खड़े करता है।

वायरल ऑडियो और सत्ता-प्रशासन की सांठगांठ– Bareilly BJP controversy

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें प्रदीप यादव कहते सुने जा रहे हैं—

“अध्यक्ष जी, विधायक जी, सीओ, पुलिस अफसर सबको एक-एक लाख देने होंगे।”

इस क्लिप ने सत्ता और प्रशासनिक तंत्र की संभावित सांठगांठ को बेनकाब कर दिया है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की आवाज नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का आईना है जहां राजनीतिक रसूख, पैसे और दबाव की त्रिकोणीय ताकत लोकतंत्र की नींव को खोखला कर रही है।- Bareilly BJP controversy

अनुशासनहीनता पर संगठन की सख्ती, लेकिन सवाल बाकी

भाजपा आंवला के जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह ने इस प्रकरण के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदीप यादव को पद से हटाने की घोषणा की। यह कदम प्रशंसनीय है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसे व्यक्ति को संगठन में पद क्यों और कैसे मिला? क्या यह चयन प्रक्रिया की चूक थी या फिर जानबूझकर की गई अनदेखी?

पीड़िता के आरोपों से और गहराया मामला– Bareilly BJP controversy

इस मामले में सबसे चिंता का विषय पीड़िता नीतू यादव के गंभीर आरोप हैं, जिनमें अपहरण, मारपीट और यौन उत्पीड़न के प्रयास का उल्लेख है। लेकिन दर्ज की गई एफआईआर में इन धाराओं का उल्लेख नहीं है। उलटे पीड़िता को लगातार धमकियाँ मिलती रहीं और आरोपी राजनीतिक रसूख का खुलेआम प्रदर्शन करता रहा।

यह दर्शाता है कि प्रशासन कितना निष्क्रिय या दबाव में है। क्या यह केवल एक व्यक्ति की मनमानी थी, या फिर पूरी व्यवस्था की मौन सहमति?

मीडिया पर भी हमलावर हुआ आरोपी– Bareilly BJP controversy

प्रदीप यादव ने वायरल ऑडियो में पत्रकारों को लेकर अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी की है। यह न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि लोकतंत्र के उस स्तंभ की अवमानना है जो सत्ता को जवाबदेह बनाने का कार्य करता है।

पत्रकार किसी दल या विचारधारा के नहीं, समाज के प्रहरी होते हैं। यदि उन्हें डराने और धमकाने की भाषा में बात की जाती है, तो यह संविधान और सामाजिक चेतना दोनों के लिए खतरे की घंटी है।

भाजपा और प्रशासन की चुप्पी – रणनीति या सहमति?

अब तक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व या प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस बयान नहीं आया है। यह चुप्पी जनता के बीच अनेक संदेह खड़े कर रही है। क्या यह रणनीतिक चुप्पी है या फिर सत्ताधारी दल द्वारा अपने कार्यकर्ता को बचाने की कोशिश?

जनता के विश्वास और लोकतंत्र की परीक्षा– Bareilly BJP controversy

यह घटना महज एक अनुशासनहीन नेता का मामला नहीं, बल्कि एक महिला की अस्मिता, पत्रकारों की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की गरिमा की परीक्षा है। भाजपा और प्रशासन के पास अब मौका है कि वे इसे व्यक्तिगत गलती न मानते हुए इसे एक संस्थागत संकट की तरह लें और पारदर्शी व कठोर कार्रवाई करें। Bareilly BJP controversy

यदि ऐसा नहीं होता, तो यह केवल एक महिला या कुछ पत्रकारों का अपमान नहीं होगा, बल्कि पूरे समाज की चेतना और लोकतंत्र की आत्मा का अपहरण कहलाएगा।

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