अयोध्या में कड़ाके की सर्दी शुरू होते ही श्रीराम जन्मभूमि पर विराजमान रामलला की विशेष शीतकालीन सेवा शुरू कर दी गई है। मंदिर प्रशासन बाल स्वरूप भगवान की तरह उनकी देखरेख कर रहा है, ताकि ठंड का कोई असर उन पर न पड़े। तापमान गिरते ही रामलला के लिए पूजा-अर्चना के साथ उनकी दैनिक दिनचर्या में भी कई बदलाव किए गए हैं।

अंगीठी के सामने बैठाकर दी जा रही गर्माहट
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि रामलला के गर्भगृह में हल्की अंगीठी जलाई जाती है, जिससे आसपास का तापमान संतुलित बना रहे और सर्द हवा का प्रभाव कम हो। यह व्यवस्था खासकर सुबह और रात के समय की जाती है। ठंडी हवाओं में बालक स्वरूप रामलला को ठंड न लगे, इसलिए यह परंपरा हर वर्ष कड़ाके की ठंड में निभाई जाती है।
गुनगुने पानी से स्नान और मखमली वस्त्रों से सजावट
सर्दियों में रामलला को गुनगुने पानी से स्नान कराया जाता है। पुजारी बताते हैं कि बालक रूप होने के कारण उनके स्वास्थ्य की विशेष देखभाल आवश्यक है। स्नान के बाद उन्हें मखमल, ऊनी पोशाक और गरम अलंकरण पहनाए जाते हैं ताकि शरीर का तापमान नियंत्रित रहे।रामलला की रात्रि वेशभूषा भी सर्दी के मौसम के अनुरूप बदल दी गई है। मुलायम ऊनी शाल, गर्म टोपी और मखमली बिस्तर उनकी आराम व्यवस्था का हिस्सा हैं।
तिल के लड्डू और गर्माहट देने वाला प्रसाद
सर्दियों में ऊर्जा और ऊष्मा प्रदान करने के लिए रामलला को विशेष रूप से तिल के लड्डू, गुड़, मूंगफली और देसी घी से बने प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। तिल और गुड़ सर्दी में शरीर को गर्म रखने के पारंपरिक उपाय हैं, इसलिए इन्हें भगवान के भोग में शामिल किया जाता है।
नींद का समय 30 मिनट बढ़ाया गया
मंदिर प्रशासन के अनुसार ठंड बढ़ने के बाद रामलला को प्रतिदिन न्यूनतम 30 मिनट अतिरिक्त विश्राम कराया जा रहा है। ठंड में शरीर को अधिक आराम की आवश्यकता होती है—इसी कारण उनकी दिनचर्या में बदलावा किया गया है।
जागर कार्यक्रमों और पूजा-पाठ में भी पुजारियों ने भगवान के आराम के समय का विशेष ध्यान रखने की व्यवस्था की है।
सर्दियों में विशेष देखरेख की ऐतिहासिक परंपरा
पुजारियों का कहना है कि सर्दियों में भगवान को ठंड से बचाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बालक रूप में भगवान की सेवा-विधि उनके आराम, भोजन, वस्त्र और तापमान के अनुरूप तय की जाती है।
अयोध्या में मौजूदा ठंड के दौर में रामलला की यह सेवा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र भी बनी हुई है।
