उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद से एक हृदय विदारक खबर सामने आई है, जहां एक कच्चे मकान की छत अचानक गिर जाने से एक युवक की जान चली गई। यह हादसा मंगलवार सुबह तड़के हुआ, जिसने न केवल एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे फरीदपुर गांव को सदमे में डाल दिया है। मलबे के नीचे दबकर 35 वर्षीय मनोज कुमार कुशवाहा की मौत हो गई, जबकि उनके साथ उसी कमरे में सो रही उनकी माँ और बहन चमत्कारिक रूप से बच गईं। यह घटना एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में जर्जर मकानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस दुखद खबर ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ा दी है, और हर कोई इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे से स्तब्ध है।
एक दुखद सुबह: कैसे हुआ हादसा?
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना मंगलवार सुबह लगभग 5 बजकर 9 मिनट पर हुई। पूरा गांव गहरी नींद में था, तभी अचानक एक कच्चे मकान के ढहने की तेज आवाज से शांति भंग हो गई। फरीदपुर गांव में रहने वाले मनोज कुमार कुशवाहा अपने परिवार के साथ सो रहे थे, जब उनके मकान की पुरानी और कमजोर छत भरभराकर गिर गई। छत का भारी मलबा सीधे उनके ऊपर आ गिरा।
आवाज सुनकर आसपास के ग्रामीण तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने देखा कि पूरा मकान मलबे में तब्दील हो चुका था। ग्रामीणों ने तुरंत ही बिना किसी देरी के राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। वे अपनी जान जोखिम में डालकर मलबे को हटाने में जुट गए ताकि अंदर दबे लोगों को बाहर निकाला जा सके। इस बीच, किसी ने घटना की सूचना पुलिस और फायर ब्रिगेड को दी।
पुलिस को जानकारी मिलते ही प्रभारी निरीक्षक कोतवाली औरैया पुलिस बल के साथ तुरंत मौके पर पहुंचे। उनके साथ फायर ब्रिगेड की टीम भी थी। ग्रामीणों और पुलिस के संयुक्त प्रयास से मलबे को हटाया गया और मनोज को बाहर निकाला गया। वह बुरी तरह से घायल हो चुके थे।
अस्पताल में युवक की मौत, प्रशासन का बयान
रेस्क्यू ऑपरेशन के तुरंत बाद, मनोज को तत्काल एक एंबुलेंस के जरिए जिला अस्पताल भिजवाया गया ताकि उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके। हालांकि, अस्पताल पहुँचने तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने गंभीर चोटों के कारण उन्हें मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनते ही उनके परिवार में कोहराम मच गया।
इस दुखद घटना की पुष्टि करते हुए क्षेत्राधिकारी सदर अशोक कुमार ने बताया, “आज सुबह करीब 5 बजकर 9 मिनट पर हमें सूचना मिली कि फरीदपुर गांव में कच्चे मकान की छत गिरने से एक व्यक्ति दब गया है। पुलिस व फायर सर्विस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों के सहयोग से घायल को जिला अस्पताल भेजा गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।”
परिवार में पसरा मातम: माँ और बहन सुरक्षित
मृतक मनोज कुमार के लिए तो यह सुबह आखिरी साबित हुई, लेकिन सौभाग्य से उनके परिवार के अन्य सदस्य इस हादसे में सुरक्षित बच गए। क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार के अनुसार, मनोज के साथ उसी घर में उनकी 60 वर्षीय माँ सुखदेवी और 20 वर्षीय बहन रचना भी सो रही थीं। दोनों इस दर्दनाक हादसे में पूरी तरह सुरक्षित हैं। परिवार के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं कि माँ और बहन तो बच गईं, लेकिन घर का इकलौता सहारा उनसे छिन गया।
इस हादसे ने पूरे परिवार को गहरा सदमा दिया है। मृतक की पत्नी पिछले कई वर्षों से उनके साथ नहीं रहती हैं, ऐसे में परिवार में इस दुख को साझा करने वाला कोई नहीं है। मनोज की माँ और बहन का रो-रोकर बुरा हाल है। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है, और लोग इस दुख की घड़ी में परिवार को सांत्वना देने के लिए उनके घर पहुँच रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम की तैयारी शुरू कर दी है। कानूनी प्रक्रिया के तहत शव का पंचनामा भरा जा रहा है। क्षेत्राधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की सूचना तहसील प्रशासन को भी दे दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि “अन्य विधिक कार्रवाई की जा रही है।”
इस तरह की घटनाएं अक्सर ग्रामीण इलाकों में कमजोर मकानों की वजह से होती हैं। प्रशासन ने मृतक के परिवार को हर संभव सरकारी सहायता देने का भरोसा दिलाया है। यह घटना सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि वे उन परिवारों की पहचान करें जो जर्जर और असुरक्षित घरों में रहते हैं और उन्हें सुरक्षित आवास मुहैया कराने के लिए कदम उठाएं।
निष्कर्ष
कच्चे मकान की छत गिरने से हुई मनोज कुमार की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सामाजिक त्रासदी है जो ग्रामीण भारत की एक गंभीर समस्या को उजागर करती है। जबकि पुलिस और प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए तत्काल कार्रवाई की, इस घटना ने एक परिवार से उसका सहारा छीन लिया। अब यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम ऐसे असुरक्षित घरों में रहने वाले लोगों की मदद के लिए आगे आएं। उम्मीद है कि सरकार मृतक के परिवार को पर्याप्त सहायता प्रदान करेगी और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी।