भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि विश्वास, सिद्धांत और सादगी की मिसाल थे। उनके जन्मदिन के अवसर पर उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा सामने आता है, जो आज भी राजनीति और समाज दोनों के लिए प्रेरणा देता है। यह कहानी उनके घर के पते से जुड़ी है, लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन हमेशा पारदर्शिता और ईमानदारी के लिए जाना गया। कहा जाता है कि जब वह सक्रिय राजनीति में थे, तब उनके नाम से आने वाले पत्रों और दस्तावेजों में उनके घर का पता बेहद साधारण तरीके से लिखा जाता था। एक बार अधिकारियों ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उनके आवास का पता औपचारिक और भव्य रूप में दर्ज किया जाए। लेकिन अटल जी ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया।

उन्होंने साफ कहा कि घर का पता बदलने से व्यक्ति की पहचान नहीं बदलती। उनका मानना था कि पद अस्थायी होते हैं, लेकिन सिद्धांत और विश्वास स्थायी होते हैं। यही कारण था कि उन्होंने कभी अपने पद का उपयोग व्यक्तिगत सुविधा या दिखावे के लिए नहीं किया।

अटल बिहारी वाजपेयी जन्मदिन किस्सा यह भी बताता है कि वह सत्ता को सेवा का माध्यम मानते थे। उनके लिए राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि देश और समाज के प्रति जिम्मेदारी थी। यही वजह है कि उनके निर्णयों में व्यक्तिगत लाभ के बजाय राष्ट्रहित सर्वोपरि रहा।
अटल जी की सादगी उनके पूरे जीवन में झलकती रही। चाहे पहनावा हो, रहन-सहन हो या फिर व्यवहार—हर जगह उनकी सरलता लोगों को प्रभावित करती थी। उनके इसी स्वभाव ने उन्हें विरोधियों के बीच भी सम्मान दिलाया।
आज के राजनीतिक दौर में अटल बिहारी वाजपेयी का यह किस्सा हमें याद दिलाता है कि सच्चा नेता वही होता है जो सिद्धांतों से कभी समझौता न करे। उनके जन्मदिन पर यह कहानी सिर्फ स्मरण नहीं, बल्कि एक सीख है कि विश्वास और ईमानदारी ही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान होती है।
