अमरोहा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से एक मार्मिक कहानी सामने आई है, जिसने सभी को भावुक कर दिया है। यहां दो सगे भाई—27 वर्षीय संतोष कुमार और 21 वर्षीय नरेश—अपनी लंबाई कम होने के कारण जिंदगी की सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं। दोनों पढ़े-लिखे हैं, लेकिन शारीरिक बनावट ऐसी कि लोग उन्हें बच्चे समझ लेते हैं और नौकरी देने से मना कर देते हैं।

शिक्षा पूरी की, सपने अधूरे रह गए
परिवार में सबसे बड़े संतोष की लंबाई मात्र 39 इंच है। उन्होंने कड़ी मेहनत से बीएससी तक की पढ़ाई पूरी की, उम्मीद थी कि पढ़ाई उन्हें गरीबी से बाहर निकाल देगी। लेकिन यह उम्मीद भी अधूरी रह गई। संतोष कई जगह नौकरी की तलाश में गए, लेकिन हर जगह उन्हें बच्चों की तरह समझकर काम देने से इंकार कर दिया गया।गांव में मजदूरी भी नहीं मिलती, क्योंकि लोग समझ नहीं पाते कि इतना छोटा कद वाला व्यक्ति कैसे भारी काम संभाल पाएगा। वहीं, घर की आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है।
छोटा भाई भी बेरोज़गार, पढ़ाई छूटी
इसी परिवार के छोटे भाई नरेश की लंबाई भी मात्र 41 इंच है। आर्थिक तंगी के चलते उसकी पढ़ाई हाईस्कूल के बाद ही रुक गई। खुद की लंबाई भी सामाजिक विडंबना बन गई। लोगों की नजरों में वह भी एक बच्चा ही लगता है, जिससे रोजगार का कोई भी रास्ता खुल नहीं पा रहा।
गरीबी ने घेरा, परिवार दो वक्त की रोटी को मोहताज
दोनों भाइयों के पिता का कुछ साल पहले निधन हो चुका है। घर की जिम्मेदारी अब इन्हीं दो भाइयों के कंधों पर है, लेकिन आय का कोई साधन न होने से परिवार की हालत बेहद खराब है। कई बार इन्हें दो वक्त का खाना जुटाने में भी संघर्ष करना पड़ता है।स्थानीय लोगों के मुताबिक, परिवार कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की कोशिश कर चुका है, लेकिन कागजी कार्यवाही और पहचान की समस्याओं के कारण मदद नहीं मिल पा रही।
सरकारी मदद और रोजगार की उम्मीद
दोनों भाइयों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि उन्हें किसी भी तरह का रोजगार दिया जाए, ताकि वे सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें और परिवार की मदद कर सकें। ग्रामीणों का भी कहना है कि सरकार को ऐसे परिवारों के लिए विशेष रोजगार योजना चलानी चाहिए, ताकि शारीरिक बनावट किसी की जिंदगी की सबसे बड़ी बाधा न बने।
