Amethi land mafia case: योगी सरकार की “एंटी भू-माफिया सेल” जो पूरे प्रदेश में जमीन कब्जेदारों पर नकेल कसने के लिए बनाई गई थी, वह अमेठी में पूरी तरह विफल होती नजर आ रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं मुराई का पुरवा, जंगल रामनगर की रहने वाली 65 वर्षीय विधवा महिला कमला देवी, जो बीते छह महीनों से अपनी जमीन को लेकर इंसाफ की तलाश में पुलिस, प्रशासन और समाधान दिवस का चक्कर काट रही हैं।
कमला देवी की शिकायतें लगातार अनसुनी हो रही हैं। जब उन्होंने 6 जुलाई को समाधान दिवस में पहुंचकर डीएम संजय चौहान से न्याय की गुहार लगाई, तब जाकर मामला चर्चा में आया। Amethi land mafia case


मानसिक रूप से बीमार बेटे से जबरन कराई गई रजिस्ट्री– Amethi land mafia case
कमला देवी ने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में लिखा है कि उनका इकलौता बेटा जंग जीत मानसिक रूप से बीमार है। 16 नवंबर 2024 को श्याम रती नामक महिला, जो राकेश कुमार पासी की पत्नी है, ने उनके पुत्र को भ्रमित कर धोखे से 0.0250 हेक्टेयर भूमि अपने पक्ष में रजिस्ट्री करवा ली। Amethi land mafia case
कमला देवी के अनुसार, यह जमीन उनकी कुल 0.3650 हेक्टेयर की संपत्ति का हिस्सा है, और इस धोखाधड़ी की भनक लगते ही जब उन्होंने विरोध किया, तो उन्हें जान से मारने की धमकी तक दी गई।

एक ही जमीन, कई बार बिकी!– Amethi land mafia case
जांच में यह भी सामने आया है कि एक ही भूमि की बार-बार रजिस्ट्री की गई। श्याम रती ने जिस जमीन को पहले अपने नाम करवाया, उसी का हिस्सा 18 नवंबर 2024 को कंचन, निवासी कडेर गांव, के नाम भी बेच दिया।इससे साफ है कि मामला केवल व्यक्तिगत झगड़े का नहीं, बल्कि भू-माफिया सिंडिकेट की सुनियोजित साजिश है।
बीजेपी नेता का नाम आया सामने, दी सफाई– Amethi land mafia case
कमला देवी ने आरोप लगाया है कि इस पूरे खेल में एक स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर और बीजेपी नेता महेश सोनी की भी भूमिका है। उन्होंने कहा कि लिखापढ़ी में महेश सोनी की संलिप्तता सामने आई है। हालांकि, महेश सोनी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर खुद को निर्दोष बताया है और इसे राजनीतिक साजिश करार दिया। Amethi land mafia case
प्रशासनिक उदासीनता ने बढ़ाया पीड़ा का दायरा– Amethi land mafia case
कमला देवी ने कई बार अमेठी थाना, तहसील कार्यालय और जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन न तो कार्रवाई हुई, न ही भू-माफियाओं पर कोई दबाव बना।
आज भी वह 65 वर्ष की उम्र में फाइलें और सबूत लिए प्रशासन के दरवाजे खटखटा रही हैं। लेकिन ‘एंटी भू माफिया सेल’ के नाम पर बना तंत्र पूरी तरह से निष्क्रिय दिखाई दे रहा है।
क्या मिलेगा विधवा को न्याय?
यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्या हश्र होता है। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और विक्रय विलेख की जांच की जाए, तो भू-माफियाओं का बड़ा सिंडिकेट उजागर हो सकता है।