संवाददाता नितेश तिवारी अमेठी। जनपद अमेठी के पीपरपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बाहीपुर गांव में सार्वजनिक रास्ता बंद किए जाने का मामला अब प्रशासनिक स्तर तक पहुंच गया है। रास्ता बंद होने से परेशान पीड़ित परिजनों ने तहसील दिवस के मौके पर पहुंचकर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) से शिकायत दर्ज कराई और तत्काल कार्रवाई की मांग की। पीड़ितों का आरोप है कि गांव के कुछ दबंग लोगों ने जबरन सार्वजनिक रास्ते को घूर-गोबर डालकर बंद कर दिया है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

दबंगों पर जबरन रास्ता बंद करने का आरोप
पीड़ित परिजनों ने बताया कि गांव में वर्षों से उपयोग में आ रहा यह रास्ता सार्वजनिक है, जिसका इस्तेमाल कई परिवार रोजमर्रा के आवागमन के लिए करते हैं। आरोप है कि गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने निजी स्वार्थ के चलते इस रास्ते पर घूर और गोबर डालकर उसे पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया। इससे न सिर्फ पैदल चलने वालों, बल्कि महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
पुलिस से शिकायत, फिर भी नहीं हुआ समाधान
पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में पहले पीपरपुर थाना पुलिस से भी शिकायत की थी, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। न तो रास्ता खुलवाया गया और न ही आरोपितों के खिलाफ कोई प्रभावी कदम उठाया गया। लगातार अनदेखी से आहत पीड़ित परिवारों ने आखिरकार तहसील दिवस में प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखने का फैसला किया।
तहसील दिवस में सीडीओ से शिकायत
मंगलवार को आयोजित तहसील दिवस में पीड़ित परिजन बड़ी उम्मीद के साथ पहुंचे और सीडीओ को लिखित शिकायत सौंपते हुए रास्ता तत्काल खुलवाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन उच्च अधिकारियों और न्यायालय की शरण लेनी पड़ेगी।
प्रशासन से कार्रवाई की उम्मीद
सीडीओ ने पीड़ितों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश देने का आश्वासन दिया है। प्रशासन की ओर से कहा गया कि सार्वजनिक रास्तों को अवैध रूप से बंद करना कानूनन अपराध है और दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों में आक्रोश
गांव में इस मामले को लेकर अन्य ग्रामीणों में भी रोष देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि यदि सार्वजनिक रास्ते इस तरह बंद किए जाते रहे तो आम जनजीवन प्रभावित होगा। अब ग्रामीणों की नजर प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी है कि कब तक रास्ता खुलवाकर उन्हें राहत दी जाती है।
