INDIAN DEFENSE REVOLUTION- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और ब्रह्मोस-2: भविष्य की युद्ध तकनीक से पाक-चीन के उड़े होश

INDIAN DEFENSE REVOLUTION

नई दिल्ली: भारत अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए लगातार नई तकनीकियों और हथियार प्रणालियों का विकास (INDIAN DEFENSE REVOLUTION) कर रहा है. पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई सैन्य अभियानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अपनी रक्षा व्यवस्था को उच्चतम स्तर तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है. हाल के अभियानों जैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने ब्रह्मोस-1 की ताकत को साबित किया, और अब ब्रह्मोस-2 और हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) जैसे अत्याधुनिक हथियार भारत की सैन्य शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाले हैं.

ब्रह्मोस-2: हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का अगला कदम -INDIAN DEFENSE REVOLUTION

ब्रह्मोस-2, भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो ब्रह्मोस-1 का उन्नत संस्करण है. ब्रह्मोस-2 की गति मैक 7 से 8 (लगभग 8,600-9,800 किमी/घंटा) तक हो सकती है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइल बनाती है. यह मिसाइल, अपनी तेज़ी और स्टील्थ क्षमताओं के कारण, किसी भी दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणालियों को चकमा दे सकती है और जल्दी से लक्ष्य को भेद सकती है.

विशेषताएँ:-

  • गति: ब्रह्मोस-2 की गति मैक 7-8 के बीच होती है, जो ब्रह्मोस-1 से दोगुना तेज है.
  • रेंज: इसकी रेंज 1,500 किलोमीटर तक हो सकती है, जो पाकिस्तान और चीन के अंदरूनी क्षेत्रों तक प्रभाव डालने में सक्षम है.
  • स्टील्थ क्षमता: इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक इसे दुश्मन के रडार प्रणालियों से बचने में मदद करती है.
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: ब्रह्मोस-2 को जमीन, समुद्र, पनडुब्बी और हवा से लॉन्च किया जा सकता है.

हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV): भविष्य की युद्ध तकनीक

हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) एक उन्नत तकनीक है, जो ध्वनि की गति से 5 गुना तेज़ (मैक 5+) गति से उड़ने में सक्षम है. यह मिसाइल रडार से बचते हुए लक्ष्य को सटीकता से नष्ट कर सकती है, जिससे इसकी पकड़ना लगभग असंभव हो जाता है. DRDO के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, और भारत इसके माध्यम से युद्ध की तकनीकी क्षमताओं में एक क्रांति ला रहा है.

विशेषताएँ:

  • गति: HGV की गति मैक 6 से मैक 12 तक हो सकती है, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय लगभग शून्य हो जाता है.
  • रेंज: इसकी रेंज 1,500-2,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जिससे पाकिस्तान और चीन के अधिकांश हिस्से में इसकी पहुंच हो.
  • मार्गदर्शन: HGV पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह एक निश्चित प्रक्षेपवक्र पर नहीं उड़ता. यह उड़ान के दौरान दिशा बदल सकता है, जिससे इसे ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है.
  • पेलोड: यह पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के वॉरहेड्स लेकर चलने में सक्षम है, जिससे यह सामरिक और रणनीतिक दोनों उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है.

भारत का वैश्विक सैन्य प्रभाव: पाकिस्तान और चीन पर असर

जैसे-जैसे भारत अपनी सैन्य शक्ति को उन्नत करता जा रहा है, उसका प्रभाव पाकिस्तान और चीन जैसे देशों पर भी पड़ेगा. ब्रह्मोस-2 और HGV जैसी अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियां न केवल भारतीय सेना के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित होंगी. ये हथियार न केवल पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के भीतर गहरे तक पहुंच सकते हैं, बल्कि इनकी रडार-धारिता और स्टील्थ क्षमता से उनके रक्षा प्रणालियों को लगभग निष्क्रिय कर दिया जाएगा.

पाकिस्तान के लिए खतरा:-

ब्रह्मोस-2 और HGV जैसे हथियार पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों और रणनीतिक क्षेत्रों को निशाना बना सकते हैं. पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली के लिए यह एक बड़ा खतरा है, क्योंकि इन हथियारों की गति और गतिशीलता उन्हें ट्रैक करना असंभव बना देती है.

चीन के लिए चुनौती:-

चीन की S-400 और HQ-9 जैसी उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणालियां भी इन हथियारों के सामने बेज़ार होंगी. ब्रह्मोस-2 और HGV की रेंज और गति इन्हें चीनी सैन्य ठिकानों, नौसैनिक जहाजों और विमान वाहक पोतों को निशाना बनाने में सक्षम बनाती है.

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SOURCE- NDTV INDIA, AAJ TAK

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